"नमाज़": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 66:
प्रति दिन की पाँचों समय की नमाज़ों के सिवा कुछ अन्य नमाज़ें हैं, जो समूहबद्ध हैं। पहली नमाज़ जुमअ (शुक्रवार) की है, जो सूर्य के ढलने के अनंतर नमाज़ ज़ह्र के स्थान पर पढ़ी जाती है। इसमें इमाम नमाज़ पढ़ाने के पहले एक भाषण देता है, जिसे खुतबा कहते हैं खुतबा वाजिब होता है बगैर इसके जुमअ की नमाज़ नहीं। इसमें अल्लाह की प्रशंसा के सिवा मुसलमानों को नेकी का उपदेश दिया जाता है। दूसरी नमाज ईदुलफित्र के दिन पढ़ी जाती है। यह मुसलमानों का वह त्योहार है, जिसे उर्दू में ईद कहते हैं और रमजान के पूरे महीने रोजे (दिन भर का उपवास) रखने के अनंतर जिस रात नया चंद्रमा निकलता है उसके दूसरे दिन मानते हैं। तीसरी नमाज़ ईद अल् अज़हा के अवसर पर पढ़ी जाती है। इस ईद को कुर्बानी की ईद कहते हैं। ये नमाज़ें सामान्य नमाज़ों की तरह पढ़ी जाती हैं। विभिन्नता केवल इतनी रहती है कि इनमें पहली रकअत में तीन बार, सुर: से पहले और दूसरी रकअत में पुन: तीन बार अधिक रुकु से पहले कानों तक हाथ उठाना पड़ता है। नमाज़ के बाद इमाम खुतबा देता है जिसका सुनना वाजिब होता है, जिसमें नेकी व भलाई करने के उपदेश रहते हैं।
कुछ नमाजें ऐसी भी होती हैं जिनके न पढ़ने से कोई मुसलमान दोषी नहीं होता। इन नमाजों में सबसे अधिक महत्व तहज्जुद नमाज़ को प्राप्त है। यह नमाज़ रात्रि के पिछले पहर में पढ़ी जाती है। आज भी बहुत से मुसलमान इस नमाज़ को दृढ़ता से पढ़ते हैं।
इस्लाम धर्म में नमाज़ जनाज़ा का भी बहुत महत्व है। इसकी हैसिअतहैसियत प्रार्थना सी है। जब किसी मुसलमान की मृत्यु हो जाती है तब उसे नहला धुलाकर दो श्वेत वस्त्र से ढक देते हैं, जिसे कफन कहते हैं और फिर जनाज़ा को खुले मैदान में ले जाते हैं अगर बारिश हो रही है तो जनाज़ा की नमाज़ मस्जिद मे हो सकती है। वहाँ इमाम जिनाज़ा के पीछे खड़ा होता है और दूसरे लोग उसके पीछे पंक्ति बाँधकर खड़े हो जाते हैं। इस नमाज़ में न ही रुकू है और न सिजदा है, केवल हाथ बाँधकर खड़ा रह जाता है तथा दुआ पढ़ी जाती है।
 
== इन्हें भी देखें==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नमाज़" से प्राप्त