"बहादुर शाह ज़फ़र": अवतरणों में अंतर

When Major Hodson came to arrest Zafar from Humayun tomb.. where he was hiding along with his two sons..The British officer knew some urdu & said to Zafar... "दमदमे में दम नहीं है ख़ैर मांगो जान की.. ऐ ज़फर ठंडी हुई अब तेग हिंदुस्तान की.." In reply to this Zafar said to officer... "ग़ज़ियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की.. तख़्त ऐ लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की."
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[[चित्र:Bahadur Shah II - aka Zafar - Project Gutenberg eText 17711.jpg|thumb|250px|बहादुर शाह ज़फ़र]]
'''बहादुर शाह ज़फर''' (1775-1862) [[भारत]] में [[मुग़ल साम्राज्य]] के आखिरी शहंशाह थे और [[उर्दू]] के माने हुए शायर थे। उन्होंने [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब [[म्यांमार]]) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई।हुई ।
 
जब मेजर हडसन मुगल सम्राट को गिरफ्तार करने के लिए हुमायूं के मकबरे में पहुंचा, जहां पर बहादुर शाह जफर अपने दो बेटों के साथ छुपे हुए थे, तो उसने (मेजर हडसन) की स्वयं उर्दू का थोड़ा ज्ञान रखता था ,कहा -
 
 
 
When Major Hodson came to arrest Zafar from Humayun tomb.. where he was hiding along with his two sons..The British officer knew some urdu & said to Zafar...
 
"दमदमे में दम नहीं है ख़ैर मांगो जान की..