"रविदास": अवतरणों में अंतर

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ब्राह्मणी व्यवस्था के खिलाफ क्रांती किया
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''' संत श्री शिरोमणि रविदास जी ''', जिन्हें ''' रैदास भगत जी ''' के नाम से भी जाना जाता है, उन महान संतों में अग्रणी थे जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से [[समाज]]भारत में व्याप्तस्थापित बुराइयोंब्राह्मणी व्यवस्था और पाखंडवाद अंडम्बरवाद अंध विश्वास को दूरखत्म करने में महत्वपूर्णअहम भूमिका योगदाननिभायी किया। इनकी रचनाओं की विशेषता [[लोक-वाणी]] का अद्भुत प्रयोग रही है जिससे जनमानस पर इनका अमिट प्रभाव पड़ता है। मधुर एवं सहज संत शिरोमणि रैदास की वाणी ज्ञानाश्रयी होते हुए भी ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी शाखाओं के मध्य सेतु की तरह है।प्राचीनकाल से ही भारत में विभिन्न धर्मों तथा मतों के अनुयायी निवास करते रहे हैं। इन सबमें मेल-जोल और भाईचारा बढ़ाने के लिए सन्तों ने समय-समय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसे सन्तों में शिरोमणि रैदास का नाम अग्रगण्य है। इनकी याद में माघ पूर्ण को रविदास जयंती मनाई जाती हैं।
 
== जीवन ==