"धरातलीय जल": अवतरणों में अंतर

मै आपसे एक बात जानना चाहता हु जल ही जीवन है . पर कुछ लोग जल माफिया बन कर सुबह से शाम तक जल का स्खलन करके उसको बेच रहे है क्या सरकार अमूल्य पानी को बचाने के लिए इन जल माफियाओ के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगी . ये जल माफिया रोजाना लाखो की चपत राजस्व विभाग को भी लगा रहे है . कृपया मेरी बात पर गौर करे कपिल देव चतुर्वेदी कृष्णा नगर मथुरा 7906151853
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2405:205:208D:8B07:2C2B:ACAC:E51:4793 (Talk) के संपादनों को हटाकर Sanjeev bot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 4:
जल को [[जल संसाधन|संसाधन]] के रूप में देखा जाए तो मानव उपयोग में आने वाला ज्यादातर जल धरातलीय जल ही है। इसका कारण यह है कि धरातलीय जल का ज्यादातर हिस्सा [[मीठा जल]] है और मानव उपयोग योग्य है। साथ ही यह आसानी से उपलब्ध और दोहन योग्य भी है। साथ ही इसमें मनुष्य की क्रियाओं द्वारा काफ़ी [[प्रदूषण]] भी हुआ है।<ref>[http://books.google.co.in/books?id=x0DPPPHRvnIC&lpg=PA56&dq=%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2&pg=PA56#v=onepage&q=%E0%A4%A7%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2&f=false पर्यावरण, प्राणी और प्रदूषण; pp. ५६।]</ref><ref>चक्रेश कुमार जैन, करन कुमार सिंह भाटिया, तिलक राज सपरा: [http://hindi.indiawaterportal.org/node/36954 भारत की प्रमुख नदियों में सतही जल प्रदूषण का निर्धारण]
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, via इण्डिया वाटर पोर्टल। </ref>
 
 
मै आपसे एक बात जानना चाहता हु जल ही जीवन है . पर कुछ लोग जल माफिया बन कर सुबह से शाम तक जल का स्खलन करके उसको बेच रहे है
क्या सरकार अमूल्य पानी को बचाने के लिए इन जल माफियाओ के खिलाफ कोई कार्यवाही करेगी . ये जल माफिया रोजाना लाखो की चपत राजस्व विभाग को भी लगा रहे है .
कृपया मेरी बात पर गौर करे
कपिल देव चतुर्वेदी
कृष्णा नगर मथुरा
7906151853
 
== इन्हें भी देखें==