"देवनागरी": अवतरणों में अंतर

छो 2409:4063:2386:382C:C2D9:79EB:634:A31A (Talk) के संपादनों को हटाकर Vishnuchandane के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1,642:
: '' हिन्दुस्तान की एकता के लिये [[हिन्दी भाषा]] जितना काम देगी, उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि देगी। इसलिए मैं चाहता हूँ कि सभी भाषाएँ देवनागरी में भी लिखी जाएं। सभी लिपियां चलें लेकिन साथ-साथ देवनागरी का भी प्रयोग किया जाये। विनोबा जी "नागरी ही" नहीं "नागरी भी" चाहते थे। उन्हीं की सद्प्रेरणा से 1975 में [[नागरी लिपि परिषद]] की स्थापना हुई।
 
=== विश्वलिपि के रूप में देवनागरीदेगरी ===
{{pov}}
बौद्ध संस्कृति से प्रभावित क्षेत्र नागरी के लिए नया नहीं है। [[चीन]] और [[जापान]] [[चित्रलिपि]] का व्यवहार करते हैं। इन चित्रों की संख्या बहुत अधिक होने के कारण भाषा सीखने में बहुत कठिनाई होती है। देववाणी की वाहिका होने के नाते देवनागरी भारत की सीमाओं से बाहर निकलकर चीन और जापान के लिए भी समुचित विकल्प दे सकती है। भारतीय मूल के लोग संसार में जहां-जहां भी रहते हैं, वे देवनागरी से परिचय रखते हैं, विशेषकर [[मारीशस]], [[सूरीनाम]], [[फिजी]], [[गुयाना]], [[त्रिनिदाद]], [[टोबैगो]] आदि के लोग। इस तरह देवनागरी लिपि न केवल भारत के अंदर सारे प्रांतवासियों को प्रेम-बंधन में बांधकर सीमोल्लंघन कर दक्षिण-पूर्व एशिया के पुराने वृहत्तर भारतीय परिवार को भी ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय‘ अनुप्राणित कर सकती है तथा विभिन्न देशों को एक अधिक सुचारू और वैज्ञानिक विकल्प प्रदान कर ‘विश्व नागरी‘ की पदवी का दावा इक्कीसवीं सदी में कर सकती है। उस पर प्रसार लिपिगत साम्राज्यवाद और शोषण का माध्यम न होकर सत्य, अहिंसा, त्याग, संयम जैसे उदात्त मानवमूल्यों का संवाहक होगा, असत्‌ से सत्‌, तमस्‌ से ज्योति तथा मृत्यु से अमरता की दिशा में।
 
=== लिपि-विहीन भाषाओं के लिये देवनागरी ===