[[इस्लाम]] में माना जाता है कि हजरत मुहम्मद ने गब्रीएल से'''जिब्रील''' अपनाया धर्म'''जिब्रईल''' ग्रहण(अरबी किया: था।جبرئیل) मुस्लिम समुदाय की मान्यता के अनुसार जिब्रील, अल्लाह के द्वारा सृष्टिसृष्टी किया गया एक [[मलाइका|मलक]] या फ़रिश्ता है. इस मलक का काम यह था कि [[अल्लाह]] के आदेनुसार [[इस्लाम के पैग़म्बर|नबी]] के पास अल्लाह का आदेश या दिव्या वाणी लेकर जाता है। पैगम्बर मुहम्मद अपने जीवनकाल में एक गुफा में जाया करते थे, जहां पर जिब्रील ने प्रकट होकर उन्हें अल्लाह की बातों को लोगों तक पहुंचाने का काम सौंपा था।▼
'''गब्रीएल''' या '''जिब्राइल''' [[बाइबिल]] में उल्लिखित देवदूतों में से एक है। [[इब्रानी भाषा]] में इस नाम का अर्थ है - 'ईश्वर का सामर्थ्य'। बाइबिल के पूर्वार्ध में वे दानियाल नामक नबी के लिये मसीह के राज्य संबंधी भविष्यद्वारिणों की व्याख्या करते हें। उत्तरार्ध में वे मसीह के अग्रदूत योहन बपतिसमा का तथा बाद में ईसाहमसीह का आगामी जन्म घोषित करते हैं। ईसाई गब्रीएल की उपासना रक्षक के रूप में करते हैं।
==सन्दर्भ==
▲[[इस्लाम]] में माना जाता है कि हजरत मुहम्मद ने गब्रीएल से अपना धर्म ग्रहण किया था। मुस्लिम समुदाय की मान्यता के अनुसार जिब्रील, अल्लाह के द्वारा सृष्टि किया गया एक [[मलाइका|मलक]] या फ़रिश्ता है. इस मलक का काम यह था कि [[अल्लाह]] के आदेनुसार [[इस्लाम के पैग़म्बर|नबी]] के पास अल्लाह का आदेश या दिव्या वाणी लेकर जाता है। पैगम्बर मुहम्मद अपने जीवनकाल में एक गुफा में जाया करते थे, जहां पर जिब्रील ने प्रकट होकर उन्हें अल्लाह की बातों को लोगों तक पहुंचाने का काम सौंपा था।