"मऊ, उत्तर प्रदेश": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो →इतिहास |
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 23:
== इतिहास ==
मऊ का बहुत गौरवशाली इतिहास रहा है। पांडवो के वनवास के समय वो मऊ जिले में भी आये थे,आज वो स्थान खुरहत के नाम से जाना जाता है। तथा उत्तरी सीमा पर बसे छोटा सा शहर दोहरीघाट जहा पर राम और परशुराम जी मीले थे। तथा दोहरीघाट से दस किलोमीटर पूर्व सूरजपुर नामक गाँव है,जहां पर श्रवण की समाधिस्थल है,जहाँ दशरथ ने श्रवण को मारा था। सामान्यत: यह माना जाता है कि 'मऊ' शब्द तुर्किश शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ गढ़, पांडव और छावनी होता है। वस्तुत: इस जगह के इतिहास के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। माना जाता है प्रसिद्ध शासक [[शेर शाह सूरी]] के शासनकाल में इस क्षेत्र में कई आर्थिक विकास करवाए गए। वहीं मिलिटरी बेस और शाही मस्जिद के निर्माण में काफी संख्या में श्रमिक और कारीगर मुगल सैनिकों के साथ यहां आए थे। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय में भी मऊ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 3 अक्टूबर 1939 ई. को [[महात्मा गांधी]
बचन कहे अभिमान के पारथ पेखत सेतु।
प्रभु तिय लूटत नीच भर जय न मीचु तेहिं हेतु।440 इस जगह पर आए थे।
== पर्यटन ==
|