"रविदास": अवतरणों में अंतर

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*vgggबाभनबाभन कहत वेद के जाये, पढ़त लिखत कछु समुझ न आवत ।
*मन ही पूजा मन ही धूप ,मन ही सेऊँ सहज सरूप।