"काकोरी काण्ड": अवतरणों में अंतर

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<poem>सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोरज़ोर कितना बाजुएबाज़ु-ए-क़ातिल में है !
 
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ !
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खीँच कर लाई है हमको क़त्ल होने की उम्म्मीद,
आशिकोंआशिक़ों का आज जमघट कूच-ए-क़ातिल में है !
 
ऐ शहीदे-मुल्कोमुल्क-ओ-मिल्लत हम तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है !
 
अब न अगले बल्वलेवल्वले हैं और न अरमानों की भीड़,
सिर्फसिर्फ़ मिट जाने की हसरत अब दिलेदिल-ए-'बिस्मिल' में है !</poem>
 
== पूरक मुकदमा और अपील ==