"सुलतानपुर जिला": अवतरणों में अंतर

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→‎इतिहास: चाँदा में युद्ध हुआ था।2011 में यहाँ मुगलकालीन चाँदी के सिक्के भी प्राप्त हुए थे।
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== इतिहास ==
<ref>{{cite web|url= http://sultanpur.nic.in/intro.htm|title=अधिकारीक जालस्थल}}</ref> [[सुलतानपुर]], [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक ऐसा भाग है जहां अंग्रेजी शासन से पहले उदार नवाबों का राज था। [[खिलजी वंश]] के सुल्तान ने भार शिवो के राजा नंदकुवर भर को पराजित कर के इस नगर को [[सुलतानपुर]] नाम से बसाया। यहां की भौगोलिक उपयुक्तता और स्थिति को देखते हुए [[अवध]] के नवाब सफदरजंग ने इसे [[अवध]] की राजधानी बनाने का प्रयास किया था, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में [[सुलतानपुर]] का अहम स्थान रहा है। [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में ०९ जून १८५७ को [[सुलतानपुर]] के तत्कालीन डिप्टी-कमिश्नर की हत्या कर इसे स्वतंत्र करा लिया गया था। संग्राम को दबाने के लिए जब अंग्रेजी सेना ने कदम बढ़ाया तो चांदा के '''कोइरीपुरचाँदा''' में अंग्रेजों से जमकर युद्ध हुआ था। चांदाचाँदा, गभड़िया नाले के पुल, अमहट और कादू नाले पर हुआ ऐतिहासिक युद्ध [[उत्तर प्रदेश]] की '''फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश''' नामक किताब में दर्ज तो है लेकिन आज तक उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में कुछ भी नहीं किया गया। न स्तंभ बने न शौर्य-लेख के शिलापट। यहां की रियासतों में मेहंदी हसन, नानेमऊ कोट, राजा '''दियरा''' एवं कुड़वार जैसी रियासतों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
 
== भूगोल ==