"अमीबा": अवतरणों में अंतर

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होता है। पाचन के बाद पचित भोजन का शोषण हो जाता है और अपाच्य भाग चलनक्रिया के बीच क्रमश: शरीर के पिछले भाग में पहुँचता है और फिर उसका परित्याग हो जाता है। परित्याग के लिए कोई विशेष अंग नहीं होता।
 
श्वसन तथा उत्सर्जन (मलत्याग) की क्रियाएँ अमीबा के बाह्म तल पर प्राय: सभी स्थानों पर होती हैं। इनके लिए विशेष अंगों की आवयकता इसलिए नहीं होती कि शरीर बहुत सूक्ष्म और पानी से घिरा होता है।
 
कोशिकारस की रसाकर्षण दाब (ऑसमोटिक प्रेशर) बाहर के जल की अपेक्षा अधिक होने के कारण जल बराबर कोशाकला को पार करता हुआ कोशारस में जमा होता है। इसके फलस्वरूप शरीर फूलकर अंत में फट जा सकता है। अत: जल का यह आधिक्य एक दो छोटी धानियों में एकत्र होता है। यह धानी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है तथा एक सीमा तक बढ़ जाने पर फट जाती है और सारा जल निकल जाता है। इसीलिए इसको संकोची धानी कहते हैं। इस प्रकार अमीबा में रसाकर्षण नियत्रंण होता है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अमीबा" से प्राप्त