"नाग (वंश)": अवतरणों में अंतर

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प्राचीन शैव ग्रंथों में नाग कबीले अत्यंत समृद्ध और शक्तिशाली बताये गए है।जिन्होंने पूरे विश्व मे नाग सभ्यता व संस्कृति को फैलाया है।नाग सभ्यता में बैल नागों का पवित्र पशु माना जाता था।भारत मे नाग जातियां प्राचीन काल से निवास कर रही है जो विभिन्न नामों से भारत के अलग अलग भागो में पायी जाती है।विश्व मे नागो के कुल पांच वंशो में तक्षक(टाक)नागकुल के लोग भारत मे बहुतायत में निवास कर रहे है। नाग सभ्यता के नष्ट हो जाने पर जब वैदिक सभ्यता ने भारत मे अपने पैर जमा लिए तब नागों को असुर नाम से भारत मे जाना गया।भारतीय इतिहास में कुषाणयुग के बाद तथा गुप्त युग के पहले ये भारशिव नाम से जाने जाते थे,जोकि नागों की उपाधि थी। भारशिवों ने ही सबसे पहले गंगा और जमुना नदियों को पवित्र मानकर उनको मानवीय रूप में स्थापित किया तथा पवित्र गंगा जल से शास्त्र सम्मत अपना राज्याभिषेक कर दस अश्वमेध यज्ञ किये थे। गुप्त युग मे समुद्रगुप्त से परास्त होकर काल गति के मारे नागजन "दंडपाशिक" बनकर गुप्तकाल के शासन में योगदान देने लगे।
 
[[श्रेणी:भारत के राजवंश]]