"भविष्य पुराण": अवतरणों में अंतर

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'''भविष्य पुराण''' १८ प्रमुख [[पुराण|पुराणों]] में से एक है। इसकी विषय-वस्तु एवं वर्णन-शैलीकी दृष्टि से अत्यन्त उच्च कोटि का है। इसमें [[धर्म]], सदाचार, [[नीति]], [[उपदेश]], अनेकों [[आख्यान]], [[व्रत]], [[तीर्थ]], [[दान]], [[ज्योतिष]] एवं [[आयुर्वेद]] के विषयों का अद्भुत संग्रह है। वेताल-विक्रम-संवाद के रूप में कथा-प्रबन्ध इसमें अत्यन्त रमणीय है। इसके अतिरिक्त इसमें नित्यकर्म, संस्कार, सामुद्रिक लक्षण, शान्ति तथा पौष्टिक कर्म आराधना और अनेक व्रतोंका भी विस्तृत वर्णन है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi गीताप्रेस डाट काम]</ref> भविष्य पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन है। इससे पता चलता है ईसा और मुहम्मद साहब<ref>{{cite web |url= http://www.geocities.com/islamicmiracles/muhammad_pbuh_in_hinduscripture.htm|title= Bhavishya Purana: The Prediction of Jesus Christ|access-date=[[9 मार्च]] [[2008]]|format=|publisher=इस्लामिक मिरैकिल्स |language=अंग्रेज़ी|archiveurl=http://web.archive.org/20041028075310/www.geocities.com/islamicmiracles/muhammad_pbuh_in_hinduscripture.htm|archivedate=28 अक्टूबर 2004}}</ref> के जन्म से बहुत पहले ही भविष्य पुराण में महर्षि [[वेद व्यास]] ने पुराण ग्रंथ लिखते समय मुस्लिम धर्म के उद्भव और विकास तथा ईसा मसीह तथा उनके द्वारा प्रारंभ किए गए ईसाई धर्म के विषय में लिख दिया था।<ref>{{cite web |url= http://www.indiadivine.org/hinduism/articles/236/1/Bhavishya-Purana-The-Prediction-of-Jesus-Christ/|title= Hindu Scriptures|access-date=[[9 मार्च]] [[2008]]|format=|publisher=इंडिया डिवाइन|language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
यह पुराण भारतवर्ष के वर्तमान समस्त आधुनिक इतिहास का आधार है। इसके प्रतिसर्गपर्व के तृतीय तथा चतुर्थ खण्ड में इतिहासकी महत्त्वपूर्ण सामग्री विद्यमान है। इतिहास लेखकों ने प्रायः इसी का आधार लिया है। इसमें मध्यकालीन [[हर्षवर्धन]] आदि हिन्दू राजाओं और अलाउद्दीन, मुहम्मद तुगलक, तैमूरलंग, बाबर तथा अकबर आदि का प्रामाणिक इतिहास निरूपित है। इसके मध्यमपर्व में समस्त कर्मकाण्ड का निरूपण है। इसमें वर्णित व्रत और दान से सम्बद्ध विषय भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इतने विस्तार से व्रतों का वर्णन न किसी पुराण, धर्मशास्त्र में मिलता है और न किसी स्वतन्त्र व्रत-संग्रह के ग्रन्थ में। हेमाद्रि, व्रतकल्पद्रुम, व्रतरत्नाकर, व्रतराज आदि परवर्ती व्रत-साहित्य में मुख्यरूप से भविष्यपुराण का ही आश्रय लिया गया है।