"दोहा": अवतरणों में अंतर

→‎दोही: यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते है
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मैंने इसमें एक दोहा लिखा है जो नरेंद्र मोदी के भाषण पर व्यंग है
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'''दोहा''' [[अर्द्धसम]] [[मात्रिक]] [[छंद]] है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है।
सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है।
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मम तावन्मतमेतदिह - किमपि यदस्ति तदस्तु
रमणीभ्यो रमणीयतरमन्यत् किमपि न अस्तु
 
राज प्रजापति की तरफ से नरेंद्र मोदी के लिए
 
नेताओं पर व्यंग के लिए दोहा-
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित काहे को होय
जो जो आज पकौड़े तली अगला पीएम होय
 
==दोही==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/दोहा" से प्राप्त