"चाँदनी चौक": अवतरणों में अंतर

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चांदनी चौक एक समय में भारत का सबसे बड़ा बाजार था।<ref>http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00routesdata/1600_1699/shahjahanabad/chandnichauk/chandnichauk.html</ref> मुगल शाही जुलूस चांदनी चौक से गुजरते थे। १९०३ में [[दिल्ली दरबार]] के आयोजन के समय इस परंपरा को पुनर्स्थापित किया गया था। १८६३ में [[ब्रिटिश सरकार]] द्वारा चौक के पास दिल्ली टाउन हॉल बनाया गया था। चौक के तालाब को १९५० के दशक तक एक घंटाघर से प्रतिस्थापित कर दिया गया था। इसी कारण बाजार का केंद्र अभी भी घंटाघर के नाम से जाना जाता है।
 
'''ऐसे मिला चांदनी चौक नाम'''
 
इतिहासकारों का मानना है कि 1650 में चांदनी चौक को बसाने का काम शुरू हुआ। मुगलकाल के बाजारों से अलग चांदनी चौक को अलग डिजाइन दिया गया, ताकि इसकी प्रसिद्धी बढ़ जाए। चौकोर आकार में बने [https://thenewzbox.com/top-news/history-of-chandni-chowk-market-mughal-badshah-shahjahan-daughter-jahanara/ चांदनी चौक] बाजार को बसाने का काम कुछ ही वक्त में पूरा कर लिया गया।
 
कहते हैं कि उस वक्त यमुना नदी का एक हिस्सा चांदनी चौक बाजार के बीच से होकर गुजरता था, जो उस वक्त इस बाजार का मुख्य आकर्षण था और यही इसके नाम के पीछे की वजह बनी। कहा जाता है कि रात के समय जब चांद की चांदनी यमुना नदी पर पड़ती थी तो इस बाजार की रौनक देखने लायक होती थी। धीरे-धीरे शाहजहानाबाद का यह बाजार चांदनी चौक के नाम से मशहूर होने लगा।
 
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* [http://www.jamamasjidplan.in/images/shahjahanabad.pdf Detailed map of Shahjehanabad]
* [http://archinomy.com/case-studies/661/traditional-dwelling-analysis-of-chandni-chowk Traditional House in Chandni Chowk]
*[https://thenewzbox.com/top-news/history-of-chandni-chowk-market-mughal-badshah-shahjahan-daughter-jahanara/ Detailed History of Chandni Chowk | चांदनी चौक का इतिहास]
 
[[श्रेणी:दिल्ली]]