"ऋग्वेद": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 23:
* ऋग्वेद में ऐसी [[कन्या]]ओं के उदाहरण मिलते हैं जो दीर्घकाल तक या आजीवन अविवाहित रहती थीं। इन कन्याओं को 'अमाजू' कहा जाता था।
* इस वेद में हिरण्यपिण्ड का वर्णन किया गया है। इस वेद में 'तक्षन्' अथवा 'त्वष्ट्रा' का वर्णन किया गया है। आश्विन का वर्णन भी ऋग्वेद में कई बार हुआ है। आश्विन को नासत्य ([[अश्विनी कुमार]]) भी कहा गया है।
* इस वेद के ७वें मण्डल में [[सुदास (ऋग्वेद)|सुदास]] तथा दस राजाओं के मध्य हुए [[युद्ध]] का वर्णन किया गया है, जो कि पुरुष्णी ([[रावी]]) नदी के तट पर लड़ा गया। इस युद्ध में सुदास की जीत हुई ।
* ऋग्वेद में 'जन' का उल्लेख २७५ बार तथा 'विश' का १७० बार किया गया है। कई ग्रामों के समूह को 'विश' कहा गया है और अनेक विशों के समूह को 'जन'। एक बड़े प्रशासनिक क्षेत्र के रूप में 'जनपद' का उल्लेख ऋग्वेद में केवल एक बार हुआ है। जनों के प्रधान को 'राजन्' या राजा कहा जाता था। आर्यों के पाँच कबीले होने के कारण उन्हें ऋग्वेद में 'पञ्चजन्य' कहा गया – ये थे- पुरु, यदु, अनु, तुर्वशु तथा द्रहयु।
* 'विदथ' सबसे प्राचीन संस्था थी। इसका ऋग्वेद में १२२ बार उल्लेख आया है। 'समिति' का ९ बार तथा 'सभा' का ८ बार उल्लेख आया है।