"रैयतवाड़ी": अवतरणों में अंतर

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'''रैयतवाड़ी व्यवस्था ''' १७९२ र्इ. में [[मद्रास पे्रसीडेन्सी]] के बारामहल जिले में सर्वप्रथम लागू की गर्इ। [[थॉमस मुनरो]] १८२० र्इ. से १८२७ र्इ. के बीच मद्रास काhfdsका गवर्नर रहा। रैयतवाड़ी व्यवस्था के प्रारंभिक प्रयोग के बाद मुनरो ने इसे १८२० र्इ. में संपूर्ण मद्रास में लागू कर दिया। इसके तहत कम्पनी तथा रैयतों (किसानों) के बीच सीधा समझौता या सम्बन्ध था। राजस्व के निधार्रण तथा लगान वसूली में किसी जमींदार या बिचौलिये की भूमिका नहीं होती थी। कैप्टन रीड तथा थॉमस मुनरो द्वारा प्रत्येक पंजीकृत किसान को भूमि का स्वामी माना गया। वह राजस्व सीधे कंपनी को देगा और उसे अपनी भूमि के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता था लेकिन [[कर]] न देने की स्थिति में उसे भूमि देनी पड़ती थी। इस व्यवस्था के सैद्धान्तिक पक्ष के तहत खेत की उपज का अनुमान कर उसका आधा राजस्व के रूप में जमा करना पड़ता था।
रैयतवाड़ी व्यवस्था, महालवाड़ी व्यवस्था
रैयतवाड़ी व्यवस्था