"अलंकार (साहित्य)": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 2:
'''अलंकार''' अलंकृति ; अलंकार : अलम् अर्थात् भूषण। जो भूषित करे वह अलंकार है। अलंकार, [[कविता]]-कामिनी के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है, उसी प्रकार अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। कहा गया है - ''''अलंकरोति इति अलंकारः'''' (जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है।) [[भारतीय साहित्य]] में [[अनुप्रास]], उपमा, रूपक, अनन्वय, [[यमक]], श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं।
इस कारण व्युत्पत्ति से उपमा आदि अलंकार कहलाते हैं।
विभावना अलंकार:- ज़हाँ कारण के बिना या कारण के विपरीत कार्य की उत्पति का वर्णन किया जाऐ, वहाँ विभावना अलंकार होता है।
पंक्ति 88:
== २. [[यमक अलंकार]] ==
एक ही शब्द, जब दो या दो से
उदाहरण :-
पंक्ति 94:
# तो पर बारों उरबसी,सुन राधिके सुजान।<br/>तू मोहन के उरबसी, छबै उरबसी समान।
# कनक कनक ते सौ गुनी,मादकता अधिकाये।<br/>या खाये बौराये जग, बा खाये बौराये।
#काली घटा का घमंड
== ३. [[श्लेष अलंकार]]<ref>{{Cite book}}</ref>==
|