"धौलपुर": अवतरणों में अंतर

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इसी कारण स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत से तसीमों गांव राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे भारत वर्ष में इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो गया जो कि इतिहास में 'तसीमों गोली कांड' के नाम से जाना जाता है।
जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए तिरंगे के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। ऐसे थे हमारे धौलपुर के वीर सपूत शहीद छत्तर सिंह परमार और पंचम सिंह कुशवाह।
घटना के साक्षी 83 वर्षीय पंडित रोशनलाल शर्मा बताते है कि [[धौलपुर राजशाही]] के इशारे पर पुलिस द्वारा चलाई गोलियों के निशान उनके हाथों पर आज भी धुंधले नहीं पड़े हैं वही साक्षी 86 वर्षीय जमुनादास मित्तल ने कहा कि तिरंगे की लाज के लिए उनके गांव के दो सपूतों की शहादत पर उन्हें फक्र है।
 
== पर्यटन स्थल ==