"मित्रता": अवतरणों में अंतर

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मित्रता की अवधारणा, स्वरूप और उसके सामाजिक-मनोवैज्ञानिक पक्षों का [[समाजशास्त्र]], [[सामाजिक मनोविज्ञान]], [[नृतत्वशास्त्र]], [[दर्शन]], [[साहित्य]] आदि आकादमिक अनुशासनों में अध्ययन किया जाता रहा है। इससे संबंधित अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है। जैसे कि [[सामाजिक विनिमय सिद्धांत]], [[साम्य सिद्धांत]], [[संबंधात्मक द्वंद्ववाद]], [[आसक्ति पद्धति]] आदि। [[विश्व खुशहाली डाटाबेस]] के अध्ययनों में पाया गया है कि करीबी संबंध रखने वाले लोग अधिक खुश रहते हैं। <ref>{{cite news| url=http://www.bbc.co.uk/news/magazine-23097143 | work=BBC News | title=Can we make ourselves happier? | date=1 July 2013}}</ref>
 
मित्रता के कई रूप होते हैं। इन रूपों में देशगत भिन्नताएं भी होती हैं किंतु कुछ विशेषताएं हर प्रकार की मित्रता में मिलती हैं। जैसे कि - आसक्ति, संवेदना, समानुभूति, ईमानदारी, परोपकारिता, करुणा, क्षमा, पारस्परिक समझ, भरोसा, सुखद साथ, एकत्व क्षमता, गलती करने में मित्र से निर्भयता आदि। यद्यपि कौन से लोग मित्र बन सकते हैं इसकी कोई व्यवहारिक सीमा नहीं है तथापि प्रायः उनकी पृष्ठभूमि, व्यवसाय, हित और रुचियाँ समान होती हैं। वे प्रायः एक ही क्षेत्र से संबद्ध होते हैं।दअनावादहैं।
 
== मित्र के कर्तव्य ==
एक मित्र होने का अर्थ यह नहीं है कि आप किसी मजाक, बातचीत, एक चाय का कप या एक गुदगुदाती कहानी का हिस्सा बनें। बल्कि इसका मतलब है अपने सच्चे और ईमानदार हिस्से को साझा करना। मित्रता महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक बड़ा उत्तरदायित्व है जिसे दोनों पक्षों को स्वेच्छा से ओढना पड़ता है।