"इत्र": अवतरणों में अंतर

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कन्नौज की रानी द्वारा बुलाये जाने पर फ्रांस के कुछ कारीगरों द्वारा सबसे पहले यहां गुलाब की इत्र का निर्माण किया गया। वर्तमान में वहां पर लगभग सभी प्रकार के फूलों की इत्र पायी जाती है,पर अभी भी लोगों को गुलाब की इत्र अधिक पसंद आती है।
यहां पर कुछ इत्र बहुत प्रसिद्ध है जैसे गुलाब,कालाभूत,आदि।
कन्नौज को इत्र के आसवन (डिस्टिलेशन) और बनाने का तरीका फारस से मिला था. आज जबकि ज्यादातर पुराने शहरों ने अपनी जड़ों से नाता तोड़कर एक नया वेश धारण कर लिया है, इत्रों के इस शहर ने इत्र बनाने की प्राचीन कला को आज भी अपने कलेजे से लगाकर रखा हुआ है।
जहां इत्र बनाने के लिए आज भी हाइड्रो डिस्टिलेशन के पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल किया जाता है. तांबे के बड़े से कड़ाहों और बांस से बनी पाइपों के जरिए अत्तर और हाइड्रोसोल (गुलाब जल, केवड़ा जल) तैयार किए जाते है।
कन्नौज में 250 से ज्यादा इत्रघर हैं, जिनमें से कई टूट-फूट रहे हैं. पहली नजर में ऐसा लगता है कि पूरा कन्नौज किसी-न-किसी रूप में इत्र बनाने के काम में लगा हुआ है. ताजे तोड़े गए फूलों की छंटाई करते, सही माप में पानी और तेल मिलाते, खास तापमान तय करते और अर्क इकट्ठा करते प्रशिक्षित हाथ (और नाक!) बरबस आपका ध्यान अपनी ओर खींच लेते है।
 
 
लोकेश द्विवेदी
कन्नौज-
उत्तर प्रदेश
"https://hi.wikipedia.org/wiki/इत्र" से प्राप्त