"सूफ़ीवाद": अवतरणों में अंतर

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सूफ़ी मत का विकास
 
 
[[इस्लाम|''<u>इस्लाम</u>'']] की आरंभिक शताब्दियों में धार्मिक और राजनीतिक संस्था के रूप में खिलाफत की बढ़ती विषय शक्ति के विरुद्ध कुछ आध्यात्मिक लोंगों का रहस्यवाद और वैराग्य की ओर झुकाव बढ़ा, इन्हें [[सूफ़ी|''<u>सूफ़ी</u>'']] कहा जाने लगा । इन लोगों ने रूढ़िवादी परिभाषाओं तथा धर्माचार्यों द्वारा की गई [[कुरान|''<u>कुरान</u>'']] और सुन्ना(पैगम्बर के व्यवहार) की बौद्धिक व्याख्या की आलोचना की ।
 
इसके विपरीत उन्होंने मुक्ति की प्राप्ति के लिए
ईश्वर की भक्ति और उनके आदेशों के पालन पर बल दिया । उन्होंने [[पैगम्बर मुहम्मद|''<u>पैगम्बर मुहम्मद</u>'']] को इंसान-ए-कामिल बताते हुए उनका अनुसरण करने की सीख दी। सूफ़ियों ने कुरान की व्याख्या अपने निजी अनुभवों के आधार पर की।
(लोकेश [[द्विवेदी|''<u>द्विवेदी</u>'']])