"पुष्कर": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
पुष्कर के उद्भव का वर्णन [[पद्मपुराण]] में मिलता है। कहा जाता है, ब्रह्मा ने यहाँ आकर यज्ञ किया था। हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थानों में पुष्कर ही एक ऐसी जगह है जहाँ ब्रह्मा का मंदिर स्थापित है। ब्रह्मा के मंदिर के अतिरिक्त यहाँ सावित्री, बदरीनारायण, वाराह और शिव आत्मेश्वर के मंदिर है, किंतु वे आधुनिक हैं। यहाँ के प्राचीन मंदिरों को मुगल सम्राट् औरंगजेब ने नष्टभ्रष्ट कर दिया था। पुष्कर झील के तट पर जगह-जगह पक्के घाट बने हैं जो राजपूताना के देशी राज्यों के धनीमानी व्यक्तियों द्वारा बनाए गए हैं। हमे गौ माँ की सेवा जरूर करनी चाहिये क्योंकि गौ माँ ही हमारी आराध्य देवी हे सभी भगवन की माँ हे वो
 
पुष्कर का उल्लेख [[रामायण]] में भी हुआ है। सर्ग ६२ श्लोक २८ में विश्वामित्रोsपि धर्मात्मा भूयस्तेपे महातपाः।
पुष्करेषु नरश्रेष्ठ दशवर्षशतानि च।। वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड सर्ग 62 श्लोक 28[[विश्वामित्र]] के यहाँ तप करने की बात कही गई है। सर्ग ६३ श्लोक १५ के अनुसार [[मेनका]] यहाँ के पावन जल में स्नान के लिए आई थीं।