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[[चित्र:Godofayurveda.jpg|right|250px|thumb|आयुर्वेद के देवता '''भगवान धन्वन्तरि''']]
 
'''आयुर्वेद''' (''आयुः + वेद = आयुर्वेद'') <ref>[https://books.google.co.in/books?id=A9aX51aSlyYC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false Treatise On Ayurveda] By Srikantha Arunachalan</ref>विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह [[विज्ञान]], [[कला]] और [[दर्शन]] का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन का ज्ञान’ और यही संक्षेप में आयुर्वेद का सार है।
 
"आयुर्वेद " शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - "आयुष" और "वेद"।
: ''हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।''
: ''मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥'' -([[चरक संहिता]] १/४०)
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''(अर्थात जिस ग्रंथ में - '''हित आयु''' (जीवन के अनुकूल), '''अहित आयु''' (जीवन के प्रतिकूल), '''सुख आयु''' (स्वस्थ जीवन), एवं '''दुःख आयु''' (रोग अवस्था) - इनका वर्णन हो उसे आयुर्वेद कहते हैं।)
 
आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंधसम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।
 
;आयुर्वेद की परिभाषा एवं व्याख्या
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: ७) रसायन तन्त्र और
: ८) वाजीकरण तन्त्र ।
इस अष्टाङ्ग आयुर्वेद के अन्तर्गत देहतत्त्व, शरीर विज्ञान, शस्त्रविद्या, भेषज और द्रव्य गुण तत्त्व, चिकित्सा तत्त्व और धात्री विद्या भी है ।है। इसके अतिरिक्त उसमें सदृश चिकित्सा ([[होम्योपैथी]]), विरोधी चिकित्सा ([[एलोपैथी]]) और जलचिकित्सा (हाइड्रोपैथी) आदि आजकल के अभिनव चिकित्सा प्रणालियों के विधान भी पाये जाते हैं ।
 
== इतिहास ==