"हिरनगाँव": अवतरणों में अंतर

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किसी इतिहासकार ने सही कहा है कि ''इतिहास हादसों का कब्रगाह है''। मिट्टी की परतों में दबा इतिहास बाहर आता है तो कई सवाल उठते हैं पुरानी कहानी सामने आती है इतिहास हमेशा सवालों के जवाब देता रहा है हां हमें थोड़ा सा इंतजार करना होगा इसकी सच्चाई वही जान सकता है जिसने शताब्दियो अतीत की धरती के पर्त दर पर्त निचे दवी राख को खोदा कुरेदा, छाना , फटका, और तब जाकर उसे कही एक दो और कही चार छे ठोस वस्तु कढ़ अतीत के हादसों के मिले हो और कभी कुछ भी हाथ न लग पाया हो। इसी संकल्प , इसी व्रत, और इसी ठान का उत्तर है हिरनगांव का प्राचीन इतिहास।
 
हिरनगाँव का इतिहास काफी प्राचीन बताया जाता है यह गाँव प्राचीन समय में हिरनगऊ के नाम से जाना जाता था क्युकि इस गाँव में अधिकांश संख्या में हिरन और गऊ रहा करती थी परंतु वर्तमान में अब हिरन तो नहीं रहे लेकिन गाय कुछ संख्या में देखी जा सकती है प्राचीन समय में गाय का बहुत महत्व था कहा जाता है कि हमारी पृथ्वी गाय के सींग पर टिकी हुई है। 1800 सदी में इस गाँव के निवासी क्रांतिकारी / स्वतंत्रता सेनानी [[पंडित तेजसिंह तिवारी]] जिन्होंने 1857 की क्रांति की जंग में भाग लिया था उन्होंने नाना साहब से कानपुर में कई बार मुलाकात की व नाना साहब के कहने पर वह कई बार मेरठ भी गए इनके पुत्र [[पंडित [[खुशालीराम तिवारी]] जिनकी ख्याति बहुत दूर दूर तक फैली हुई थी उन्होंने हिरन गाँव प्राथमिक विद्ययालय की ज़मीन दान में दे दी सन् 1876 में इस गाँव में [[तोताराम सनाढ्य]] का जन्म हुआ था जिनके अथक प्रयासों से गिरमिटिया/बंधुआ मजदूरी प्रथा को समाप्त किया जा सका एवम् उनके द्वारा [[फिजी|फिजी देश में मेरे 21 वर्ष]] पुस्तक इसी प्रयोजन से लिखी गई थी इस पुस्तक को [[भारती भवन]] द्वारा प्रकाशित कराकर भवन की ख्याति को बढ़ाया इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुबाद कराकर दीनबंधु एंड्रूज फिजी लेते गए एवम् तोताराम सनाढय की मेहनत और त्याग के फलस्वरूप फिजी द्वीप [[प्रशांत महासागर|प्रशांत महासागर स्वर्ग]] के नाम से प्रशिद्ध है।''
 
''तोताराम सनाढय की मृत्यु पर [[महात्मा गांधी]] ने लिखा " वयोवृद्ध तोताराम जी किसी से भी सेवा लिए वगैर ही गये वे सावरमति आश्रम के भूसण थे विद्वlन तो नहीं पर ज्ञानी थे भजनों के भण्डार थे फिर भी गायनाचार्य थे अपने एक तारे और भजनों से आश्रमवासियो को मुग्ध कर देते थे "परोपकाराय सत्ता विभूतय "तोताराम जी में ये अक्षरश सत्य रहा"।''