"चन्द्रशेखर आज़ाद": अवतरणों में अंतर
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== पहली घटना ==
१९१९ में हुए [[अमृतसर]] के [[जलियांवाला बाग नरसंहार]] ने देश के नवयुवकों को उद्वेलित कर दिया। चन्द्रशेखर उस समय पढाई कर रहे थे। जब [[गांधीजी]] ने सन् १९२१ में [[असहयोग आन्दोलन]]का फरमान जारी किया तो वह आग [[ज्वालामुखी]] बनकर फट पड़ी और तमाम अन्य छात्रों की भाँति चन्द्रशेखर भी सडकों पर उतर आये। अपने विद्यालय के छात्रों के जत्थे के साथ इस आन्दोलन में भाग लेने पर वे पहली बार गिरफ़्तार हुए और उन्हें १५ बेतों की सज़ा मिली। इस घटना का उल्लेख पं० [[जवाहरलाल नेहरू]] ने कायदा तोड़ने वाले एक छोटे से लड़के की कहानी के रूप में किया है- राधे राधे
: ''ऐसे ही कायदे (कानून) तोड़ने के लिये एक छोटे से लड़के को, जिसकी उम्र १५ या १६ साल की थी और जो अपने को '''आज़ाद''' कहता था, बेंत की सजा दी गयी। वह नंगा किया गया और बेंत की टिकटी से बाँध दिया गया। जैसे-जैसे बेंत उस पर पड़ते थे और उसकी चमड़ी उधेड़ डालते थे, वह 'भारत माता की जय!' चिल्लाता था। हर बेंत के साथ वह लड़का तब तक यही नारा लगाता रहा, जब तक वह बेहोश न हो गया। बाद में वही लड़का उत्तर भारत के '''क्रान्तिकारी''' कार्यों के दल का एक बड़ा नेता बना।''<ref>जवाहरलाल नेहरू (अनुवादक: हरिभाऊ उपाध्याय) ''मेरी कहानी'' [[१९९५]] पृष्ठ ७३-७४</ref><ref>मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' ''स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास'' (भाग-दो) पृष्ठ ४७४</ref>
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