"तुलसी मानस मन्दिर": अवतरणों में अंतर

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'''तुलसी मानस मन्दिर''' [[काशी]] के आधुनिक मंदिरों में एक बहुत ही मनोरम मन्दिर है। यह मन्दिर वाराणसी कैन्ट से लगभग पाँच कि॰ मि॰ दुर्गा मन्दिर के समीप में है। इस मन्दिर को सेठ रतन लाल सुरेका ने बनवाया था। पूरी तरह संगमरमर से बने इस मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] द्वारा सन॒ 1964 में किया गया।<ref name=" Tulsi Manas Mandir ">{{cite news|title=Tulsi Manas Mandir|publisher=Varanasi.org|accessdate=Mar 2015|url=http://www.varanasi.org.in/tulsi-manas-mandir-temple-Varanasi}}</ref><ref name="jindal1955">{{Citation | title=A history of Hindi literature | author=K.B. Jindal | year=1955 | isbn= |publisher=Kitab Mahal | url=http://books.google.com/books?id=IkA9AAAAIAAJ | quote=... The book is popularly known as the ''Ramayana'', but the poet himself called it the ''Ramcharitmanas'' i.e. the 'Lake of the Deeds of Rama'}}</ref>
 
इस मन्दिर के मध्य मे [[श्री राम]], [[माता जानकी]], [[लक्ष्मण]]जी एवं [[हनुमान]]जी विराजमान है। इनके एक ओर माता [[अन्नपूर्णा]] एवं [[शिव]]जी तथा दूसरी तरफ सत्यनारायणजी का मन्दिर है। इस मन्दिर के सम्पूर्ण दीवार पर [[रामचरितमानस]] लिखा गया है। इसके दूसरी मंजिल पर [[तुलसीदास|संत तुलसी दास जी]] विराजमान है, साथ ही इसी मंजिल पर स्वचालित श्री राम एवं कृष्ण लीला होती है। इस मन्दिर के चारो तरफ बहुत सुहावना घास (लान) एवं रंगीन फुहारा है, जो बहुत ही मनमोहक है। यहाँ अन्नकूट महोत्सव पर छप्पन भोग की झाकीझाँकी बहुत ही मनमोहक लगती है। मंदिर के प्रथम मंजिल पर राम चरिचचरित मानस की विभिन्न भाषाओं में दुर्लभ प्रतियों का पुस्तकालय मौजूद है। सम्पूर्ण मंदिर के परिधी में बहुत ही कलात्मक ढंग से ऐक पहाड़ी पर शिव जी के मूर्ति से झरने का अलौकिक छटा देखते ही बनती है।
 
==इन्हें भी देखें==