"स्वामी करपात्री": अवतरणों में अंतर

ब्रम्हलीन होने का सन् ठीक किया
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 50:
'''ब्रह्मलीन-'''
 
माघ शुक्ल चतुर्दशी सम्वत 2038 (7 फरवरी 19621982) को केदारघाट वाराणसी में स्वेच्छा से उनके पंच प्राण महाप्राण में विलीन हो गए। उनके निर्देशानुसार उनके नश्वर पार्थिव शरीर का केदारघाट स्थित श्री गंगा महारानी को पावन गोद में जल समाधि दी गई।
 
उन्होने [[वाराणसी]] में 'धर्मसंघ' की स्थापना की। उनका अधिकांश जीवन वाराणसी में ही बीता। वे [[अद्वैत दर्शन]] के अनुयायी एवं शिक्षक थे। सन् १९४८ में उन्होने [[अखिल भारतीय राम राज्य परिषद]] की स्थापना की जो परम्परावादी [[हिन्दू]] विचारों का राजनैतिक दल है।