"अपराध शास्त्र": अवतरणों में अंतर

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मनःशारीरिक दृष्टि से अपराध पर विचार करते हुए लांब्रोजो ने काफी पहले कहा था कि अपराधी व्यक्ति के शरीर की विशेष बनावट होती हैं। परंतु उस समय उनके मत को मान्यता नहीं मिली। हाल में अपराधियों को लेकर कुछ प्रयोग किए गए जिनसे निष्कर्ष निकला कि ६० प्रतिशत अपराधियों के शरीर की बनावट असामान्य होती है। रक्तकोशिका में रहनेवाले २३ [[गुणसूत्र]] (क्रोमोसाम) युग्मों में से अपराधियों का २१वाँ गुणसूत्र युग्म असामान्य पाया गया। सन्‌ १९६८ ई. में अपने चार बच्चों के हत्यारे एक व्यक्ति की ओर सेलेदन की एक अदालत में तर्क उपस्थित किया गया कि मेरे गुणसूत्रों की बनावट अतिपुरुष की है अर्थात्‌ मेरी रक्तकोशिकाओं में गुणसूत्रों का क्रम 'एक्स वाई' हैं (सामान्य पुरुष की रक्तकोशिकाओं में गुणसूत्रों का क्रम 'एक्स वाई' रहता है) जिसके कारण मेरी अपराध मनोवृति का कारण प्राकृतिक है ओर मैंने असामान्य मानसिक दशा में जिम्मेदारी समाप्त करने के लिए अपने बच्चों की हत्या की है। न्यायालय ने फैसले में यद्यपि उसकी असामान्य मानसिक शारीरिक बनावट का उल्लेख नहीं किया गया तो भी असामान्य दशा के आधार पर अपराधी को छोड़ दिया गया।
 
सन्‌ १९६९ ई. में [[हरगोविन्द खुराना|डॉ॰ हरगोविंद खुराना]] ने [[आनुवंशिक संकेत]] (जेनेटिक कोड) सिद्धांत का प्रतिपादन करके नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया जिसके अनुसार व्यक्ति का आचरण उसके जीन समूह की बनावट पर निर्भर करता है और जीन समूह की बनावट वंशपरंपरा के आधार पर होती है। फलतः अपराधी मनोवृतत्ति रिक्थ में भी प्राप्त हो सकतीmmMसकती हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==