"प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध": अवतरणों में अंतर
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'''[https://www.indianenquiryoffice.com/2019/08/1845-46.html प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध]''' [[पंजाब]] के [[सिख]] राज्य तथा [[अंग्रेज|अंग्रेजों]] के बीच 1845-46 के बीच लड़ा गया था। इसके परिणाम स्वरूप सिख राज्य का कुछ हिस्सा अंग्रेजी राज का हिस्सा बन गया।
* प्रथम सिक्ख युद्ध का प्रथम रण (१८ दिसम्बर १८४५) [[मुदकी]] में हुआ। प्रधानमंत्री लालसिंह के रणक्षेत्र से पलायन के कारण सिक्ख सेना की पराजय निश्चित हो गई।
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* चौथा मोर्चा (२८ जनवरी) अलीवाल में हुआ, जहाँ अंग्रेजों का सिक्खों से अव्यवस्थित संघर्ष (Skirmish) हुआ।
* अंतिम रण (१० फरवरी) स्व्रोओं में हुआ। तीन घंटे की गोलाबारी के
२० फ़रवरी १८४६, को विजयी अंग्रेज सेना लाहौर पहुँची। लाहौर (९ मार्च) तथा [[भैरोवाल]] (१६ दिसंबर) की [[संधि]]यों के अनुसार पंजाब पर अंग्रेजी प्रभुत्व की स्थापना हो गई। लारेंस को ब्रिटिश रेजिडेंट नियुक्त कर विस्तृत प्रशासकीय अधिकार सौंप दिए गए। अल्प वयस्क महाराजा दिलीप सिंह की माता तथा अभिभावक रानी जिंदाँ को पेंशन बाँध दी गई। अब पंजाब का अधिकृत होना शेष रहा जो [[डलहौजी]] द्वारा संपन्न हुआ।
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