"संविदा निर्माण": अवतरणों में अंतर

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संविदा कर्मचारियों को रेगुलर करने कदम बढ़ाए एमपी सरकार ने https://www.patrika.com/bhopal-news/mp-government-steps-up-to-make-samvida-employees-regular-4931360/
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परंतु इस वचनपालन का आध्यात्मिक और नैतिक मूल्य रहा है, इसके पीछे कानून का हाथ नहीं था और न इसको कोई वैधानिक मान्यता प्राप्त थी। परन्तु धीरे धीरे व्यावसायिक सम्बन्धों में वचनपालन की और उसे कानूनी मान्यता देने की आवश्यकता का अनुभव भी जीवनमूल्यों एवं नैतिकता के ह्रास के साथ ही समाज ने किया और इसी कारण नैतिक तथा आध्यात्मिक दृष्टि से वचनपालन जहाँ गौण होता गया, वैधानिक मान्यताप्राप्त व्यावसायिक वचनों के पालन के महत्व को प्रमुखता प्राप्त होती गई।
 
संविदा कर्मचारियों को रेगुलर करने कदम बढ़ाए एमपी सरकार ने
https://www.patrika.com/bhopal-news/mp-government-steps-up-to-make-samvida-employees-regular-4931360/
 
 
व्यावसायिक और कानूनी दृष्टि से इस सम्बन्ध में रोम का कानूनी इतिहास रोचक है। वहाँ संविदा का प्राचीनतम स्वरूप (nexum) था। अपने मूल रूप में यह उधार वस्तुविक्रय से सम्बन्धित था। धीरे धीरे ऋण के लिये भी इसका प्रयोग होने लगा। इसकी कतिपय औपचारिकताएँ थीं जिनके बिना (nexum) की पूर्णता प्राप्त नहीं होती थी।