"चुम्बकीय क्षेत्र": अवतरणों में अंतर

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[[File:VFPt cylindrical magnet thumb.svg|thumb|250px|किसी 'आदर्श' बेलनाकार चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र]]
[[चित्र:Electromagnetism.svg|thumb|250px|किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा '''I''', उस चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र '''B''' उत्पन्न करती है।]]
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}}</ref> [[विशिष्ट आपेक्षिकता]] में, विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र, एक ही वस्तु के दो पक्ष हैं जो परस्पर सम्बन्धित होते हैं।
 
चुम्बकीय क्षेत्र दो रूपों में देखने को मिलता है, (१) [[स्थायी चुम्बक|स्थायी चुम्बकों]] द्वारा [[लोहा]], [[कोबाल्ट]] आदि से निर्मित वस्तुओं पर लगने वाला बल, तथा (२) [[मोटर]] आदि में उत्पन्न बलाघूर्ण जिससे मोटर घूमती है। आधुनिक प्रौद्योगिकी में चुम्बकीय क्षेत्रों का बहुतायत में उपयोग होता है (विशेषतः [[वैद्युत इंजीनियरी]] तथा [[विद्युतचुम्बकत्व]] में)। धरती का चुम्बकीय क्षेत्र, [[चुम्बकीय सुई]] के माध्यम से दिशा ज्ञान कराने में उपयोगी है। [[विद्युत मोटर]] और [[विद्युत जनित्र]] में चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग होता है।
 
==लॉरेंज बल==
'''{{मुख्य|लॉरेंज बल}}'''
किसी चुम्बकीय क्षेत्र B में, v वेग से गतिमान, q आवेश वाले कण पर लगने वाला [[बल]],
किसी तार में उत्पन्न आबेश (q) तथा वेग (v) एवम् चुम्बकीय क्षेत्र(B) के गुणन फल को लोरेंज बल कहेते हैं
: <math>\mathbf{F} = q\mathbf{v} \times \mathbf{B}</math>
 
 
F=q v×B
 
जहा
q=आवेश
v=वेग
B=चुम्बकीय क्षेत्र
 
==सन्दर्भ==