"यूसुफ़ मेहर अली": अवतरणों में अंतर

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डॉ राममनोहर लोहिया,जयप्रकाश नारायण व नेहरू जी के संपर्क में आने पर वह राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए। 3 फरवरी 1928 को सात सदस्यीय "कमीशन आयोग" मुम्बई आया तो युसुफ विरोध प्रर्दशन में शामिल हुए और " साइमन गौ बैक " का नारा दिया और गिरफ्तार हो कर जेल गए।
 
1930 में गांधी जी की दांडी मार्च नमक सत्याग्रह में प्रमुख रूप से शामिल हुए और गिरफ्तार होकर जेल गए। 1934 में उन्हें ब्रिटिश राज पर षड़यंत्र रचने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2 साल की सजा हुई ।
 
1940 में गांधी जी के आहवान पर व्यक्तिगत आन्दोलन में शामिल हुए और फिर जेल गए। 1942 में गांधी जी के "भारत छोड़ो आंदोलन" में सक्रिय भूमिका निभाई और फिर गिरफ्तार होकर जेल गए।
 
1942 के दौरान युसुफ मेहर अली लाहौर जेल में बंद थे तो उनको कांग्रेस ने "बाम्बे मेयर चुनाव" के लिए प्रत्याशी बनाया गया तथा चुनाव में भाग लेने के लिए उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। सरदार पटेल ने तो उनकी जीत के लिए तो पूरी ताकत झोंक दी थीं और चुनाव में विजयी हुए।
 
1947 के भारत विभाजन का उन्होंने विरोध किया।2 जुलाई 1950 को भारत के महान् सपूत युसुफ मेहर अली का निधन हो गया।