"तावड़ू": अवतरणों में अंतर

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यह रेवाड़ी से ठीक पूर्व में स्थित है और बादशाह अकबर के समय रेवाड़ी सरकार का एक महल (परगना) होता था अठाहरवीं सदी में उतरी भाग में इस परगने का आमीन राव तेजसिंह था; जो बहुत अच्छा प्रशासन व सेनापति था | सन 1785 के बाद जब रेवाड़ी जागीर में अफरातफरी का माहौल था तो रानी मायाकवर के निमंत्रण पर वहां का कार्यभार राव तेजसिंह ने संभाला और अपनी योग्यता से इसे एक श्रेष्ठ जागीर में बदल दिया | राव तुलाराम उसी के वंशज है|
 
<span lang="en" dir="ltr">यह रेवाड़ी से ठीक पूर्व में स्थित है और बादशाह अकबर के समय रेवाड़ी सरकार का एक महल (परगना) होता था अठाहरवीं सदी में उतरी भाग में इस परगने का आमीन राव तेजसिंह था; जो बहुत अच्छा प्रशासन व सेनापति था | सन 1785 के बाद जब रेवाड़ी जागीर में अफरातफरी का माहौल था तो रानी मायाकवर के निमंत्रण पर वहां का कार्यभार राव तेजसिंह ने संभाला और अपनी योग्यता से इसे एक श्रेष्ठ जागीर में बदल दिया | राव तुलाराम उसी के वंशज है|</span>
'''''तावडू का किला''''' : तावडू नमक गांव में स्थित इस प्राचीन किले के विभिन कक्षो, उप-कक्षो तथा अन्य स्थलो से तावडू के इतिहास की जानकारी मिलती है| इस किले के चारों ओर ऊँची-ऊँची दीवारे बानी हुई है | यही किला बाद में राजा नाहरसिंह का किला बना | इस समय तावडू स्थित इस किले को वहाँ का 'पुलिस थाना' बना दिया गया है|
 
<span lang="en" dir="ltr">'''''तावडू का किला''''' : तावडू नमक गांव में स्थित इस प्राचीन किले के विभिन कक्षो, उप-कक्षो तथा अन्य स्थलो से तावडू के इतिहास की जानकारी मिलती है| इस किले के चारों ओर ऊँची-ऊँची दीवारे बानी हुई है | यही किला बाद में राजा नाहरसिंह का किला बना | इस समय तावडू स्थित इस किले को वहाँ का 'पुलिस थाना' बना दिया गया है|</span>
'''''<big>तावडू के गुम्बद :</big>''''' तावडू की पश्चिम दिशा में जगह-जगह पर अनेक गुम्बद बने हुए है| क्षेत्र के लोगो की दृढ़ मान्यता है कि ये गुम्बद मुगलकालीन शासन में बने थे| अपने समय में इनका बड़ा महत्व था| इन गुम्बदों में पुख्ता कब्रें मौजूद है|
 
<span lang="en" dir="ltr">'''''<big>तावडू के गुम्बद :</big>''''' तावडू की पश्चिम दिशा में जगह-जगह पर अनेक गुम्बद बने हुए है| क्षेत्र के लोगो की दृढ़ मान्यता है कि ये गुम्बद मुगलकालीन शासन में बने थे| अपने समय में इनका बड़ा महत्व था| इन गुम्बदों में पुख्ता कब्रें मौजूद है|</span>
 
'''''It''''' is situated just east of Rewari and used to be a palace (pargana) of the Rewari government at the time of Emperor Akbar, in the northern half of the eighteenth century Amen of this pargana was ''Rao Tej Singh;'' Who was a very good administration and commander. After '''1785''', when there was an atmosphere of chaos in Rewari jagir, Rao Tej Singh took over the charge at the invitation of ''Rani Mayakwar'' and transformed it into a superior manor by his ability. ''Rao Tularam'' is a descendant of him.