"शिव": अवतरणों में अंतर
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[[File:Shiv Pratima Gola Gokarnnath 2.jpg|thumb|200px|उत्तर प्रदेश के [[गोला गोकर्णनाथ]] में शिव प्रतिमा]]
=== शिव स्वरूप सूर्य ===
जिस प्रकार इस ब्रह्मण्ड का ना कोई अंत है, न कोई छोर और न ही कोई सुरुआत, उसी प्रकार [https://gyanordharm.blogspot.com/2019/08/Bhagwan-shiv-Birth-AIBA.com.html शिव] अनादि है सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात समय। शिव अपने इस स्वरूप द्वारा पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं। इसी स्वरूप द्वारा परमात्मा ने अपने ओज व उष्णता की शक्ति से सभी ग्रहों को एकत्रित कर रखा है। परमात्मा का यह स्वरूप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है क्योंकि पूर्ण सृष्टि का आधार इसी स्वरूप पर टिका हुआ है।
=== शिव स्वरूप शंकर जी ===
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