"शिव": अवतरणों में अंतर

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== पूजन ==
शिवरात्रि की पूजा रात्रि के चारों प्रहर में करनी चाहिए। शिव को [https://gyanordharm.blogspot.com/2019/08/Digital-Brahman-Samaj.com.html बिल्वपत्र],पुष्प,चंन्दन का स्नान प्रिय हैं। एवम् इनकी पूजा के लिये दूध, दही, घी, शकर, शहद इन पांच अमृत जिसे पञ्चामृत कहा जाता है।पूजन में इनका उपयोग करें। एवम् पञ्चामृत से स्नान करायें इसके बाद इत्र चढ़ा कर जनेऊ पहनायें। शिव का त्रिशूल और डमरू की ध्वनि मंगल, गुरु से संबंद्धित हैं। चंद्रमा उनके मस्तक पर विराजमान होकर अपनी कांति से अनंताकाश में जटाधारी महामृत्युंजय को प्रसन्न रखता है तो बुधादि ग्रह समभाव में सहायक बनते हैं। महामृत्युंजय मंत्र शिव आराधना का महामंत्र है।
 
 
{|class="wikitable"
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|'''[[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html ज्योतिर्लिंग]]] '''
| '''स्थान '''
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| [[ [https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html पशुपतिनाथ] ]] || नेपाल की राजधानी काठमांडू
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html सोमनाथ]]]|| सोमनाथ मंदिर, सौराष्ट्र क्षेत्र, गुजरात
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html महाकालेश्वर]]] || श्री[[महाकाल]], महाकालेश्वर, उज्जयिनी (उज्जैन)
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html ॐकारेश्वर]]]|| [[ॐकारेश्वर]] अथवा ममलेश्वर, [[ॐकारेश्वर]],
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html केदारनाथ]]] || केदारनाथ मन्दिर, रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html भीमाशंकर]]] || भीमाशंकर मंदिर, निकट पुणे, महाराष्ट्र
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html विश्वनाथ]]] || काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
 
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर]]]||त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर, नासिक, महाराष्ट्र
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html रामेश्वरम]]]|| रामेश्वरम मंदिर, रामनाथपुरम, तमिल नाडु
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html घृष्णेश्वर]]] || घृष्णेश्वर मन्दिर, वेरुळ, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html बैद्यनाथ]]]|| परळी वैजनाथ बीड महाराष्ट्र एवम् देवघर झारखण्ड
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| [[[https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html नागेश्वर]]]|| औंढा नागनाथ महाराष्ट्र
नागेश्वर मन्दिर, द्वारका, गुजरात
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| [[श्रीशैल]] || [https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html श्रीमल्लिकार्जुन], श्रीशैलम (श्री सैलम), आंध्र प्रदेश
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|<span style="color:#0000FF"> शरीकेदार </span>|| नेपाल कालान्जर बन खण्ड्
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|<span style="color:#0000FF"> अशिम केदार </span>|| नेपाल कालान्जर बन खण्ड्
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| {{font color|blue|yellow| पुरी भुमी के रूप मे शिब ज्योतिर्लिङ::कालान्जर}}|| {{font color|black| यद्दपी पुरा ब्रह्माण्ड भागवान शिब का ज्योतिर्लिङ है फिर भि पुराणौने पृथिबी मे भागवानशिव के दो [https://gyanordharm.blogspot.com/2019/07/blog-post_30.html ज्योतिरलिङ] पुरी भुमी के रूप मे है (१) कैलाश पर्बत् ( यह पुरा पर्बत एक ज्योतिर्लिङ है (२) कालन्जर पर्बत बनखण्ड ( यह पुरा पर्बत बनखण्ड दुसरा भुमी ज्योतिर्लिङ है }}
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| {{font color|blue|yellow| शिब पुराणमे बर्णित कालान्जर बन खण्ड् ,भुमी ज्योतिर्लिङ, का सन्क्षिप्त इतिहास }}|| {{font color|black| [[यह बनखण्ड कत्त्युरी राज्य का प्रमुख तिर्थस्थल था इस बनखण्डको १३वी सदी तक कालान्जर कहते थे यहाँ भागवान का मन्दिर है , केदार के पुजारी यहाँ गौ को चराने भि ले जाया कर्ते थे इसिलिए १८ सदी मे आकर इसका नाम गौलेक्=गवाल्लेक भि पड्गया , यहाँ भागवान का मन्दिर है , आदी शन्काराचार्य ने यहाँ आकर ७ दिन तक तपश्या कि थि और उन्हौने इस बनखण्ड को शिवपुराणमे बर्णित कालान्जर होनेकी पुस्टी भि कि थि, तब से १२-१३ सदी तक इसे कालान्जर कहा जाता था, बाद मे जब कत्युरी राजबन्श कमजोर हुवा और यह भुभाग मे चन्द राजा आए, चन्दौ ने सारे महत्वपुर्ण स्थलौका नाम परिवर्तन किया , जहाँ उन्हौने राज्धानी बनाइ वो भि कालान्जर का हि तल था, उस्को उन्हौने बायोत्तर नामाकरण कर्दिय , बाद्मे १७वी सदी मे गुर्खौ ने इस का नाम बदलकर बैतडी कर्दिया, और सारा इतिहास छिन्न भिन्न हो गया, कालान्जर मे पुजा कर्ना निशेध किया गया और वहाँ केबल गाय चराने वाले ग्वाले हि जाने लगे, पुरे मन्दिर के रूप मे अवस्थित बनखण्ड को गौचरान मे परिणत कर्दिया पहले चन्द राजावौने और बादमे पुर्ण रुपसे गुर्खौ ने , और बाद मे १८वी सदी , अंरेज्-नेपाल के युद्ध के समय तक इस्का नाम कालोन्जर हो गया, अंरेज नेपाल के युद्ध के बाद गुर्खौ के दबाब मे यिसका नाम गोल्लेक बनादिया गया और आज इसे ग्वाल्लेक के नाम से जाना जाता है, यह शिब पुराणौमे बर्णित कालन्जर पर्बत हि है, बहुत सारे अध्एता और शोध कर्ने वाले भि इस बात कि पुस्टी करचुके है ]]}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/शिव" से प्राप्त