"भारतीय संसद": अवतरणों में अंतर

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संविधान सभा (विधायी) की एक अलग निकाय के रूप में पहली बैठक 17 नवम्बर 1947 को हुई। इसके अध्यक्ष सभा के प्रधान डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान अध्यक्ष पद के लिए केवल श्री जी.वी. मावलंकर का एक ही नाम प्राप्त हुआ था। इसलिए उन्हें विधिवत चुना हुआ घोषित किया गया। 14 नवम्बर 1948 को संविधान का प्रारूप संविधान सभा में प्रारूप समिति के सभापति बी॰आर॰ अम्बेडकर ने पेश किया। प्रस्ताव के पक्ष में बहुमत था। 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के गणराज्य का संविधान लागू हो गया। इसके कारण आधुनिक संस्थागत ढांचे और उसकी अन्य सब शाखा-प्रशाखाओं सहित पूर्ण संसदीय प्रणाली स्थापित हो गई। संविधान सभा भारत की अस्थायी संसद बन गई। वयस्क मताधिकार के आधार पर पहले आम चुनावों के बाद नए संविधान के उपबंधों के अनुसार संसद का गठन होने तक इसी प्रकार कार्य करती रही।
 
नए संविधान के तहत पहले आम चुनाव वर्ष 1951-52 में हुए। पहली चुनी हुई संसद जिसके दो सदन थे, [[राज्यसभा]] और [[लोकसभा]] मई, 1952 में बनी; दूसरी लोक सभा मई 1957 में बनी; तीसरी अप्रैल 1962 में; चौथी मार्च 1967 में; पांचवी माच 1971 में; 6 मार्च 1977 में; सातवीं जनवरी 1980 में; 8 जनवरी 1985 में; नवीं दिसंबर 1989 में, दसवीं जून 1991 और ग्यारहवीं 1996 में बनी। 1952 में पहली बार गठित राज्यसभा एक निरंतर रहने वाला, स्थायी सदन है। जिसका कभी विघटन नहीं होता। हरहोता।हर दो वर्ष इसके एक-तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं।हैं
 
== संसद की भूमिका ==