"बक्सर का युद्ध": अवतरणों में अंतर

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जनवरी १७६४ में मीर कासिम उससे मिला। उसने धन तथा बिहार के प्रदेश के बदले उसकी सहायता खरीद ली। [[शाह आलम]] भी उनके साथ हो लिया। किंतु तीनों एक दूसरे पर संदेह करते थे।
 
=== छल-कपट से हुई अंग्रेजों की जीत ===
इस युद्ध के दौरान शुजाऊदौला के सैनिकों की गद्दारी और मीर कासिम, शुजाउदौला और शाहआलम के कमजोर गठजोड़ की वजह से इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई।
दरअसल, मीरकासिम और शाहआलम के पास कोई अपनी कोई सेना नहीं थी, जिसके चलते अवध के नवाब शुजाउदौला ने इस [https://www.gyankidhaara.in/buxar-history-in-hindi/ युद्ध] के लिए सैनिकों को तैयार करने के लिए उन पर रोजाना होने वाले खर्च के लिए करीब 11 लाख रुपए की मांग की, वहीं मीरकासिम के द्धारा इस मांग को पूरी नहीं कर पाने की वजह से शुजाउदौला ने मीरकासिम की सारी संपत्ति पर जबरन कब्जा जमा लिया और वह खुद बिहार की राजगद्दी पर बैठना चाहता था। जिसके चलते दोनों के रिश्तों में आपस में कड़वाहट पैदा हो गई थी।
वहीं दूसरी तरफ मुगल बादशाह शाहआलम के पास भी खुद की सेना नहीं थी, और वो दिल्ली की गद्दी पर बैठना चाहता था, वहीं अंग्रेजों की सहायता मिलने का आश्वासन पाकर वो इस युद्ध को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं था। ऐसी परिस्थिति में यह युद्ध सिर्फ 3 घंटे ही चल सका और इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई।
इस तरह मीरकासिम के कमजोर गठबंधन, शाहआलम की गद्दारी, कुछ विश्वासघाती सैनिक एवं सैनिकों की युद्ध के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं होने का फायदा अंग्रेजो को मिला और अंतत: छल, कपट की बदौलत बक्सर के युद्ध में भी अंग्रेजों की जीत हुई और अंग्रेजों का प्रभुत्व भारत में और ज्यादा बढ़ गया।
 
== युद्ध के घातक परिणाम ==