"रघुकुल": अवतरणों में अंतर

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रघुवंशी क्षत्रिय :-
रघुवंशी (इक्षवाकु) राजवंश
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(1000 ईपू. से 364 ईपू. तक)
रघुकुल :- यह भारत का प्राचीन क्षत्रिय कुल है । जो भारतवर्ष के सभी क्षत्रीय कुलों में सर्वश्रेष्ठ क्षत्रियकुल माना जाता है । ऐतिहासिक दृष्टि से रघुकुल मर्यादा, सत्य, चरित्र, वचनपालन, त्याग, तप, ताप व शौर्य का प्रतीक रहा है । अयोध्या के सूर्यवंशी सम्राट रघु ने इस वंश की नींव रखी थी ।
रघुवंशी:- सूर्यवंशी सम्राट रघु के वंशज रघुवंशी कहलाते है । रघुवंशी विशुद्ध सूर्यवंशी क्षत्रिय है। जो इक्ष्वाकु, रघुवंशी तथा सूर्यवंशी क्षत्रिय कहलाते है। रघुवंशी क्षत्रिय भारतवर्ष के कौशलजनपद (अवध अयोध्या) में रहा करते थे।
अयोध्या के सूर्यवंशी सम्राट रघु ने इस वंश की नींव रखी थी ।
रघुवंशी का अर्थ है रघु के वंशज । अर्थात सम्राट रघु के वंशज रघुवंशी कहलाते है । बौद्ध काल तक रघुवंशियो को इक्ष्वाकु, रघुवंशी तथा सूर्यवंशी क्षत्रिय कहा जाता था।
मूलरुप से यह वंश भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु से प्रारम्भ हुआ था। जो सूर्यवंश, इक्ष्वाकु वंश, ककुत्स्थ वंश व रघुवंश नाम से जाना जाता है। आदिकाल में ब्रह्मा जी ने भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु को पृथ्वी का प्रथम राजा बनाया था। भगवान सूर्य के पुत्र होने के कारण मनु जी सूर्यवंशी कहलाये तथा इनसे चला यह वंश सूर्यवंश कहलाया। अयोध्या के सूर्यवंश में आगे चल कर प्रतापी राजा रघु हुये। राजा रघु से यह वंश रघुवंश कहलाया। इस वंश मे इक्ष्वाकु, ककुत्स्थ, हरिश्चंद्र, मांधाता, सगर, भगीरथ, अंबरीष, दिलीप, रघु, दशरथ, राम जैसे प्रतापी राजा हुये हैं। रघुवंशियों के कुछ राजाओं कावर्णन रघुवंशकाव्य में दिया गया है।