"हख़ामनी साम्राज्य": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Achaemenid Empire.jpg|thumb|400px|right|आचमेनिडअजमीढ़ साम्राज्य अपने चरम पर - ईसापूर्व सन् 500 के आसपास]]
 
'''हख़ामनी वंश''' या '''अजमीढ़ साम्राज्य'''([[अंग्रेज़ी]] तथा ग्रीक में एकेमेनिड, अजमीढ़ साम्राज्य (ईसापूर्व 550 - ईसापूर्व 330) प्राचीन [[ईरान]] (फ़ारस) का एक शासक वंश था। यह प्राचीन ईरान के ज्ञात इतिहास का पहला शासक वंश था जिसने आज के लगभग सम्पूर्ण ईरान पर अपनी प्रभुसत्ता हासिल की थी और इसके अलावा अपने चरमकाल में तो यह पश्मिम में [[यूनान]] से लेकर पूर्व में [[सिंधु नदी]] तक और उत्तर में [[कैस्पियन सागर]] से लेकर दक्षिण में अरब सागर तक फैल गया था। इतना बड़ा साम्राज्य इसके बाद बस [[सासानी]] शासक ही स्थापित कर पाए थे। इस वंश का पतन [[सिकन्दर]] के आक्रमण से सन ३३० ईसापूर्व में हुआ था, जिसके बाद इसके प्रदेशों पर यूनानी (मेसीडोन) प्रभुत्व स्थापित हो गया था।
आचमेनिड साम्राज्य (/ ːkichamɪn /d /; š Xšāça (पुरानी फ़ारसी) "द एम्पायर" [1] सी। 550–330 ईसा पूर्व), जिसे प्रथम फ़ारसी साम्राज्य भी कहा जाता है, [14] पश्चिमी एशिया में स्थापित एक प्राचीन ईरानी साम्राज्य था। साइरस महान। पूर्व में सिंधु घाटी के पश्चिम में बाल्कन और पूर्वी यूरोप से उचित सीमा तक, यह 5.5 [9] [10] (या 8 [11]) मिलियन वर्ग में फैले इतिहास के किसी भी पिछले साम्राज्य से बड़ा था। किलोमीटर। विभिन्न मूल और आस्थाओं के विभिन्न लोगों को शामिल करते हुए, यह एक केंद्रीकृत, नौकरशाही प्रशासन (राजाओं के राजा के तहत क्षत्रपों के माध्यम से) के सफल मॉडल के लिए उल्लेखनीय है, सड़क व्यवस्था और एक डाक प्रणाली जैसे बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए, एक आधिकारिक भाषा का उपयोग इसके प्रदेशों में, और नागरिक सेवाओं और एक बड़ी पेशेवर सेना के विकास के लिए। साम्राज्य की सफलताओं ने बाद के साम्राज्यों में समान प्रणालियों को प्रेरित किया। [१५]
 
पश्चिम में इस साम्राज्य को [[मिस्र]] एवम [[बेबीलोन]] पर अधिकार, [[यूनान]] के साथ युद्ध तथा यहूदियों के मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए याद किया जाता है। कुरोश तथा दारुश को इतिहास में महान की संज्ञा से भी संबोधित किया जाता है। इस वंश को आधुनिक फ़ारसी भाषा बोलने वाले ईरानियों की संस्कृति का आधार कहा जाता है। इस्लाम के पूर्व प्राचीन ईरान के इस साम्राज्य को ईरानी अपने गौरवशाली अतीत की तरह देखते हैं, जो अरबों द्वारा ईरान पर शासन और प्रभाव स्थापित करने से पूर्व था। आज भी ईरानी अपने नाम इस काल के शासकों के नाम पर रखते हैं जो मुस्लिम नाम नहीं माने जाते हैं। ज़रदोश्त के प्रभाव से पारसी धर्म के शाही रूप का प्रतीक भी इसी वंश को माना जाता है। तीसरी सदी में स्थापित सासानी वंश के शासकों ने अपना मूल हख़ामनी वंश को ही बताया था।
 
== मूल ==
{{main|क़ुरोश}}
श्रीमद्भाग्वत एवं विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी की वंशावली के राजा अजमीढ़ की पीढ़ी में कुरु राजा के नाम से सम्पूर्ण कुरुक्षेत्र जाना जाता है। कुरु एक अत्यंत प्रतापी राजा हुए हैं जो महाभारत में कौरवों के पितामह थे, उन्ही के नाम से कुरु प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। इसका क्षेत्र आधुनिक हरियाणा (कुरुक्षेत्र) के ईर्द-गिर्द था। इसकी राजधानी संभवतः हस्तिनापुर या इंद्रप्रस्थ थी। कुरु के राज्य का विस्तार कहाँ तक रहा होगा ये भारतियों के लिए खोज का विषय है किन्तु विश्व इतिहास में कुरु प्राचीन विश्व के सर्वाधिक विशाल साम्राज्य को नए आयाम देने वाला चक्रवर्ती राजा था जिसने ईरान में मेड साम्राज्य को अपने ही नाना अस्त्यागस से हस्तांतरित करते हुए साम्राज्य का नया नाम अजमीढ़ Achaemenid_empire साम्राज्य रखा था। इस साम्राज्य की सीमायें भारत से मिश्र, लीबिया और ग्रीक तक फ़ैली हुई थी। [१]
 
हख़ामनी यानि हख़ामनश वंश के शासक सातवीं सदी से अन्शान नामक एक छोटे से राज्य के शासक थे जो आधुनिक दक्षिण-पश्चिमी ईरान के पार्स प्रांत में केंद्रित था। जिस समय हख़ामनी या अजमीढ़ शासकों ने सत्ता सम्हाली (ईसापूर्व 648 में), उस समय [[मीदि]] लोग ईरान में सबसे ज्यादा शक्तिशाली थे। [[अन्शान]] यानि पार्स यानि ''फारस'' के राज्य (जो मीदिया के दक्षिण में थे) उसके सहयोगी थे। ये लोग [[असीरिया]] के खिलाफ़ युद्ध करते थे। ईसापूर्व सन् 559 में जब कुरु (फ़ारसी में कुरोश, साइरस) वंशानुगत रूप से अन्शान का राजा बना तो उसने मीद प्रभुत्व स्वीकार करने से मना कर दिया और मीड साम्राज्य के ख़िलाफ विद्रोह कर दिया। उसने ईसापूर्व 549 में मेड राजा [[अस्त्यागस]] की राजधानी [[हमादान]] (एक्बताना) पर अधिकार कर लिया। उसने अपने को पारस का शाह घोषित कर दिया और मीड साम्राज्य को अपना सहयोगी राज्य बना दिया। इससे मीदिया और फ़ारस के रिश्ते पूरी तरह बदल गए और फारस उसके बाद आने वाली सदियों के लिए ईरानी प्रभुसत्ता का केन्द्र बन गया। कहा जाता है कि कुरोश मीडिया के राजा अस्त्यागस का रिश्ते में नाती लगता था। हख़ामनी वंश में राजाओं के बीच पिता-पुत्र जैसे रिश्ते का हमेशा न मिल पाना इतिहासकारों में मतभेद पैदा करता है (नीचे दारुश यानि दारा के बारे में भी पढ़े।)
=== साइरस (कुरोश) का साम्राज्य विस्तार ===
इस सत्तापलट के बाद, इसके विपरीत जो कि उस समय के बाक़ी पश्चिमी ईरान के राजाओं के साथ होता था - कुरु ने बाक़ी छोटे साम्राज्यों की अधीनता या बाराबरी भी स्वीकार नहीं की और साम्राज्य विस्तार में जुट गया। उसने पश्चिम की दिशा में [[लीडिया]] पर अधिकार कर लिया। वहाँ पर उसने अपने खजाने के लिए प्रसिद्ध क्रोएसस का धन भी लूटा। इसके अलावा एशिया माइनर के इलाकों पर और बेबीलोनिया पर भी उसने अधिकार कर लिया। कुरोश ने यहूदियों को धार्मिक स्वतंत्रता दी। लेकिन कुरु की मृत्यु उसके जीवन इतनी गरिमामयी नहीं रही। जब जीवन के उत्तरार्ध में वो पश्चिनम से लौटकर [[कैस्पियन सागर]] के पूर्व की तरफ विजय अभियान के लिए निकला तो वहाँ मेसागेटे की रानी ने उसे युद्ध में हरा दिया और मार दिया गया। लेकिन उस समय तक कुरोश ने एक विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया था। मध्यपूर्व में और [[तुर्की]] के तट पर यूनानी शहरों से लेकर कैस्पियन सागर तक का विशाल साम्राज्य उस समय तक विश्व में शायद ही किसी ने खड़ा किया हो। वह विश्व का पहला सम्राट रहा होगा जिसे महान की उपाधि दी गई होगी - ''कुरोश महान''।
 
क़ुरोश के बाद उसका पुत्र कम्बोजिया (कैम्बैसिस) शाह बना। उसने मिस्र में अपनी विजय पताका लहरायी और वो अपनी क्रूरता के लिए विख्यात था। उसकी मृत्यु अप्रत्याशित रूप से हुई। कहा जाता है कि फारसी क्षेत्र के केन्द्र में किसी विद्रोह की ख़बर को सुनकर उसने आत्म हत्या कर ली। पश्चिमी ईरान में [[बिसितुन]] के पास मिले एक शिलालेख में लिखा गया है कि गौमाता नाम के एक [[मागी]] ने विद्रोह किया था। उसने अपने को कम्बोजिया का छोटा भाई बताकर फ़ारसी जनता पर पड़े करों के खिलाफ लोगों को भड़काया था। ये बात सही थी कि कुरोश और कम्बोजिया के समय ईरानी जनता ने अत्यधिक लड़ाईया लड़ी थीं और इसका खर्च जनता पर लगाए करों से आता था। पर इसके कुछ ही दिनों बात दारा (या दारयुश, ग्रीक में डैरियस) ने गौमाता को मार दिया और शाह बन बैठा। उसी ने बाद में बिसितुन में उन दिनों के घटनाक्रम का शिलालेख खुदवाया था।
 
== दारा ==
{{main|दारा}}
दारा अजमीढ़ साम्राज्य शासक वंश से किसी दूर के रिश्ते से जुड़ा हुआ था। गद्दी सम्हालते ही दारा ने अपना साम्राज्य पश्चिम की ओर विस्तृत करना आरंभ किया। पर ४९० ईसापूर्व में मैराथन के युद्ध यवनों से मिली पराजय के बाद उसे वापस एशिया मइनर तक सिमट कर रह जाना पड़ा। दारा के शासनकाल में ही पर्सेपोलिस (तख़्त-ए-जमशेद के नाम से भी ज्ञात) का निर्माण करवाया (५१८-५१६ ईसापूर्व)। एक्बताना (हमादान) को भी गृष्म राजधानी के रूप में विकसित किया गया।
 
== यूनान से युद्ध ==
{{main|सिकंदर}}
 
उसके बाद उसके पुत्र खशायर्श (क्ज़ेरेक्सेस) ने यूनान पर विजय अभियान चलाया। लगभग बीस लाख की सेना लेकर उसने यवन प्रदेशों पर धावा बोल दिया। उसने उत्तर की दिशा से हमला बोला और मेसीडोनिया तथा थेसेले में कोई खास सैन्य विरोध नहीं हुआ। वो आगे बढ़ता गया पर थर्मोपैले के युद्ध में उसे एक छोटी सी सेना ने तीन दिनों तक रोक दिया। इसके बाद उसे कुछ जगहों पर यवनों से मात भी मिली। मैकाले के युद्ध में हारने के बाद फारसी सेना वापस आ गई।
 
इसके बाद भी मेसीदोन पर फ़ारसी प्रभाव रहा। उसके क़रीब सौ साल बाद, मेसीडोनिया (मकदूनिया) का राजा फिलीप वहाँ के छोटे छोटे साम्राज्यों को संगठित करने में सफल हुआ। पर उसकी हत्या कर दी गई। उस समय उसका बेटा सिकन्दर काछी छोटा था। पर सिकन्दर ने विश्व विजय का सपना देखा था। वो सबसे पहले यूनान पर फारसी दमन का बदला लेना चाहता था। इसी मंशा से उसने अनातोलिया (तुर्की) के तटीय प्रदेशों पर आक्रमण आरंभ किया।
=== साम्राज्य का पतन ===
सिकन्दर की सेना को जीत मिलती गई। अब सिकन्दर सीधे तुर्की में प्रविष्ट हुआ। ईसापूर्व सन् 330 में उसने दारा तृतीय को एक युद्ध में हरा दिया। पर दारा का साम्राज्य उस समय तक बहुत बड़ा बन चुका था और एक हार से सिकन्दर की जीत सुनुश्चित नहीं की जा सकती। पर सिकन्दर ने दारा को तीन अलग अलग युद्धों में हराया। दारा रणभूमि छोड़कर भाग गया और यवनों ने फारसी सेना पर नियंत्रण कर लिया। इसके बाद सिकन्दर ने दारा को पकड़ने की कोशिश की पर इसका उसे सीधा फायदा नहीं मिला। कुछ दिनों बाद दारा का शव सिकन्दर को मिला। दारा को उसके ही आदमियों ने मार दिया था। इसके साथ ही हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया। सिकन्दर का साम्राज्य पूरे फारसी साम्राज्य को निगल चुका था।
 
== महिमा ==