"व्यंजना": अवतरणों में अंतर

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'''व्यंजना''', [[शब्दशक्ति]] का एक प्रकार है।
==प्रकार==
व्यंजना के दो भेद हैं- शाब्दी व्यंजना और आर्थी व्यंजना।व्यंजना।1 शाब्दी व्यंजना – जहाँ शब्द विशेष के कारण व्यंग्यार्थ का बोध होता है और वह शब्द हटा देने पर व्यंग्यार्थ समाप्त हो जाता है , वहाँ शाब्दी व्यंजना होती है |
जैसे –
चिरजीवौ जोरी जुरै , क्यों न सनेह गंभीर |
को घटि ए वृषभानुजा , वे हलधर के वीर ||
यहाँ वृषभानुजा , हलधर के वीर शब्दों के कारण व्यंजना सौन्दर्य है | इनके दो – दो अर्थ हैं – राधा , गाय तथा श्रीकृष्ण , बैल | यदि वृषभानुजा , हलधर के वीर शब्दों को हटाकर उनके स्थान पर अन्य पर्यायवाची शब्द रख दिया जाए तो व्यंजना समाप्त हो जाएगी |
शाब्दी व्यंजना के भेद -
1 अभिधामूला शाब्दी व्यंजना – जहाँ एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं , वहाँ किस अर्थ विशेष को ग्रहण किया जाए , इसका निर्णय अभिधामूला शाब्दी व्यंजना करती है | अभिधामूला शाब्दी व्यंजना में शब्द का पर्याय रख देने से व्यंजना का लोप हो जाता है तथा व्यंग्यार्थ का बोध मुख्यार्थ के माध्यम से होता है |
जैसे –
सोहत नाग न मद बिना , तान बिना नहीं राग |
यहाँ नाग और राग दोनों शब्द अनेकार्थी हैं परन्तु ‘वियोग’ कारण से इनका अर्थ नियंत्रित कर दिया गया है | इसलिए यहाँ पर ‘नाग’ का अर्थ हाथी और ‘राग’ का अर्थ रागिनी | अब यदि यहाँ नाग का पर्यायवाची भुजंग रख दिया जाए तो यह व्यंग्यार्थी हो जाएगा |
2. लक्षणामूला शाब्दी व्यंजना – जहाँ किसी शब्द के लाक्षणिक अर्थ से उसके व्यंग्यार्थ पर पहुँचा जाए और शब्द का पर्याय रख देने से व्यंजना का लोप हो जाए , वहाँ लक्षणामूला शाब्दी व्यंजना होती है |
जैसे -
आप तो निरे वैशाखनंदन हैं |
2 आर्थी व्यंजना – जब व्यंजना किसी शब्द विशेष पर आधारित न होकर अर्थ पर आधारित होती है , तो वहाँ आर्थी व्यंजना मानी जाती है |
जैसे -
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी |
आँचल में है दूध और आँखों में पानी ||
यहाँ नीचे वाली पंक्ति से नारी के दो गुणों की व्यंजना होती है – उनका ममत्व भाव एवं कष्ट सहने की क्षमता | यहाँ व्यंग्यार्थ शब्द से नहीं अपितु अर्थ से है |
 
===शाब्दी व्यंजना===
शाब्दी व्यंजना के दो भेद होते हैं- एक अभिधामूला और दूसरी लक्षणामूला।