"कनिष्क": अवतरणों में अंतर

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1916 में लाहौर से प्रकाशित डेनजिल इबटसन की ‘पंजाब कास्ट्स’ पुस्तक के अनुसार [[हजारा जिला|हजारा]], [[पेशावर]], [[झेलम]], [[गुजरात]], [[रावलपिंडी]], [[गुजरांवाला]], [[लाहौर]], [[सियालकोट]], [[अमृतसर]], [[जालंधर]], [[लुधियाना]], [[फिरोजपुर]], [[गुरदासपुर]], [[होशियारपुर]], [[कांगड़ा]], [[रोहतक]], [[हिसार]], [[अम्बाला]], [[करनाल]], [[दिल्ली]] और गुडगाँव में कसाना गुर्जर पाये जाते हैं| जिला गुजरात, गुरुदासपुर, होशियारपुर और अम्बाला में इनकी अच्छी संख्या हैं| इबटसन के विवरण से स्पष्ट हैं कि पंजाब, हिमांचल प्रदेश, हरयाणा, दिल्ली आदि प्रान्तों में कसाना गुर्जर आबाद हैं तथा प्राचीन ऐतिहासिक गांधार राज्य की सीमा के अंतर्गत आने वाली कुषाणों की राजधानी पुरुषपुर (पेशावर) और उसके उत्तरी तरफ मरदान, चित्राल और स्वात क्षेत्र में भी गुर्जरों की अच्छी खासी आबादी हैं| कनिष्क की गांधार कला के विकास में विशेष भूमिका थी। <ref> Denzil Ibbetson, Panjab Castes, Lahore 1916</ref> होशियारपुर जिला गजेटियर, 1904 के अनुसार गूजरों के ढाई गोत्र कसाना, गोर्सी और बरगट के अतिरिक्त '''चेची, भूमला, चौहान और बजाड़''' आदि जिले में प्रमुख गोत्र हैं।
<ref>District Hoshiyarpur Gazetteer, 1904</ref>
जम्मू और कश्मीर राज्य में भी कसाना गुर्जरों का एक प्रमुख गोत्र हैं। '''कसाना, खटाना, चेची, पढाना/भडाना, लोढ़ा, पसवार/पोषवाल तथा बागड़ी''' जम्मू कश्मीर में गुर्जरों के प्रमुख गोत्र हैं| कश्मीर के [[मीर पोर, कश्मीर|मीरपुर]] क्षेत्र में कसाना गुर्जरों का प्रमुख गोत्र हैं। [[हिमाचल प्रदेश]] के कांगड़ा और ऊना जिले के गूजरों में कसाना प्रमुख गोत्र हैं।
 
उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद जिले के लोनी क्षेत्र में कसाना गोत्र का बारहा यानि 12 गाँव की खाप हैं। इस कसाना के बारहा में '''रिस्तल, जावली, शकलपुरा, गढ़ी, सिरोरा, राजपुर, भूपखेडी, मह्मूंदपुर, धारीपुर, सीती, कोतवालपुर तथा मांडला''' गाँव आते हैं। इनके पड़ोस में ही रेवड़ी और भोपुरा भी कसाना गुर्जरों के गाँव हैं। जावली तथा शकलपुरा इनके केंद्र हैं। कसानो के इस बारहा का निकल दनकौर के निकट रीलखा गाँव से माना जाता हैं। '''रीलखा''' से पहले इनके पूर्वजों का [[राजस्थान]] के झुझुनू जिले की खेतड़ी तहसील स्थित तातीजा गाँव से आने का पता चलता हैं। इतिहासकार रामशरण शर्मा के अनुसार [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश|गुर्जर प्रतिहारो]] ने अपनी विजेता सेना के सरदारों को 12 या उसके गुणांक 24, 60, 84, 360 की समूह में गाँव को प्रदान किये थे। इन विजेता सरदारों ने अपने गोत्र के भाई-बंद सैनिको को ये गाँव बाँट दिए। सभवतः ये 12 गाँव गुर्जर प्रतिहारो के काल में नवी शताब्दी में उनकी उत्तर भारत की विजय के समय यहाँ बसे हैं। मेरठ जिले के परतापुर क्षेत्र में ‘कुंडा’, मेरठ मवाना मार्ग पर ‘कुनकुरा’, मुज़फ्फरनगर जिले में शुक्रताल के पास ‘ईलाहबास’ तथा गंगा पार [[बिजनौर]] जिले में लदावली कसाना गोत्र के गाँव चौदहवी शताब्दी में जावली से निकले हैं| इसी प्रकार [[दादरी]] क्षेत्र के '''हाजीपुर, नंगला, रूपबास रामपुर और चिठेडा''' के कसाना गुर्जर लोनी क्षेत्र स्थित महमूदपुर गाँव से सम्बंधित, 1857 की जनक्रांति के मशहूर स्वतंत्रता सेनानी शहीद तोता सिंह कसाना के वंशज हैं। <ref>Edwin T Atkinson, Statistical, Descriptive and Historical Account of The North- Western Provinces Of India, Vol II, Meerut Division: Part I, Allahabad, !875, Page 185-186 https://books.google.co.in/books?id=rJ0IAAAAQAAJ</ref>