"मौर्य राजवंश": अवतरणों में अंतर

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325 ईसापूर्व में उत्तर पश्चिमी भारत (आज के [[पाकिस्तान]] का लगभग सम्पूर्ण इलाका) सिकन्दर के क्षत्रपों का शासन था। जब सिकन्दर [[पंजाब]] पर चढ़ाई कर रहा था तो एक ब्राह्मण जिसका नाम [[चाणक्य]] था (कौटिल्य नाम से भी जाना गया तथा वास्तविक नाम विष्णुगुप्त) मगध को साम्राज्य विस्तार के लिए प्रोत्साहित करने आया। उस समय मगध अच्छा खासा शक्तिशाली था तथा उसके पड़ोसी राज्यों की आंखों का काँटा। पर तत्कालीन मगध के सम्राट घनानन्द ने उसको ठुकरा दिया। उसने कहा कि तुम एक पंडित हो और अपनी चोटी का ही ध्यान रखो "युद्ध करना राजा का काम है तुम पंडित हो सिर्फ पंडिताई करो" तभी से चाणक्य ने प्रतिज्ञा लिया की धनानंद को सबक सिखा के रहेगा|{{cn}}
 
मौर्य प्राचीन क्षत्रिय कबीले के हिस्से रहे है।{{cn}} ब्राह्मण साहित्य,विशाखदत्त कृत मुद्राराक्षस व जस्टिन इत्यादि यूनानी स्रोतों के अनुसार मौर्य क्षत्रिय थे मौर्य के उत्पत्ति के विषय पर इतिहासकारो के एक मत नही है कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि चंद्रगुप्त मौर्य की उत्पत्ति उनकी माता मुरा से मिली है मुरा शब्द का संसोधित शब्द मौर्य है , वेहालांकि ऐसेविष्णु कबीलेपुराण थेके जोअनुसार मोरोंचंद्रगुप्त कामौर्य पालनमहापद्मनंद करतेजोगी थे।नंद परन्तुवंश यहके भीशासक सटीकथे नहीऔर बैठताउनकी पत्नी मूरा के पुत्र थे भारतीय इतिहास में यह पहली बार हुआ माता के नाम से पुत्र का वंश चला हो मौर्य एक शाक्तिशाली वंश था वह उनके पिता से विरासत में मिली थी पुत्र का नाम पिता से ही जुड़ा होता है , उनकी उत्पत्ति वृषल वंश से हुयी थी, लेकिन इसका कोई भी प्रमाण इतिहास में उपलब्ध नहीं है यह केवल तर्क है क्योंकि इतिहास में किसी ने भी अपने वंश का नाम माता के नाम से नहीं रखा , तो कुछ इतिहासकारो का यह सिर्फ अनुमान है। । <ref name="कुमार">{{cite book|author=डॉ. रवीन्द्र कुमार|title=भारत में दलित वर्ग और दलितोद्धार आंदोलन (१९०० ई. - १९५० ई. )|url=https://books.google.com/books?id=Wdy4CgAAQBAJ&pg=PT29|accessdate=10 August 2017|publisher=Lulu.com|isbn=978-1-329-44516-1|pages=29–}}</ref> चन्द्रगुप्त उसी गण प्रमुख का पुत्र था जो की चन्द्रगुप्त के बाल अवस्था में ही योद्धा के रूप में मारा गया। चन्द्रगुप्त में राजा बनने के स्वाभाविक गुण थे 'इसी योग्यता को देखते हुए चाणक्य ने उसे अपना शिष्य बना लिया, एवं एक सबल राष्ट्र की नीव डाली जो की आज तक एक आदर्श है।{{cn}}
 
=== मगध पर विजय ===