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== इतिहास ==
 
बूँदी की स्थापना राजा बून्दा मीना ने की थी। १३४२ तक मीनाओ ने राज्य किया।इसी वजह से किले के आस पास एवम आस पास के गांवों में मीना जनजाति की बाहुल्यता है , बाद में मेवाड के बंबावदा ठिकाने के हाडाओं ने राज्य का निर्माण किया तथा राज्य मे उमरथुना गांव में गंगेश्वरी देवी का मंदिर बनवाया ़़बूंदी के शासक राव सुर्जन हाड़ा ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी। शाहजहाँ के समय बूँदी के शासक छत्रसाल हाड़ा ने दारा की ओर से धरमत की लड़ाई में भाग लिया था, किंतु वह इस युद्ध में मारा गया। बूँदी अपनी विशिष्ट चित्रकला शैली के लिए विख्यात है, जो इस अंचल में मध्यकाल में विकसित हुई। बूँदी के विषयों में शिकार, सवारी, रामलीला, स्नानरत नायिका, विचरण करते हाथी, शेर, हिरण, गगनचारी पक्षी, पेड़ों पर फुदकते शाखामृग आदि रहे हैं।
बूँदी की स्थापना राजा देव सिह जी ने १३४२ मे जैता मीना को हरा कर कि। नगर कि दोनो पहाडियो के मध्य "बून्दी कि नाल" नाम से प्रसिद्ध नाल के कारण नगर का नाम "बून्दी" रखा गया। बाद मे इसी नाल का पानी रोक कर नवलसागर झील का निर्माण कराया गया। राजा देव सिंह जी के उपरान्त राजा बरसिंह ने पहाडी पर तारागढ़ नामक दुर्ग का निर्माण करवाया। साथ ही दुर्ग मे महल और कुण्ड-बावडियो को बनवाया। १४वी से १७वी शताब्दी के बीच तलहटी पर भव्य महल का निर्माण कराया गया। सन् १६२० को महल मे प्रवेश के लिए भव्य पोल(दरवाज़ा) का निर्माण कराया गया। पोल को दो हाथी कि प्रतिमुर्तियों से सजाया गया उसे "हाथीपोल" कहा जाता है। राजमहल मे अनेक महल साथ ही दिवान- ए - आम और दिवान- ए - खास बनवाये गये। बूँदी अपनी विशिष्ट चित्रकला शैली के लिए विख्यात है, इसे महाराव राजा "श्रीजी" उम्मेद सिंह ने बनवाया जो अपनी चित्रशैली के लिए विश्वविख्यात है। बूँदी के विषयों में शिकार, सवारी, रामलीला, स्नानरत नायिका, विचरण करते हाथी, शेर, हिरण, गगनचारी पक्षी, पेड़ों पर फुदकते शाखामृग आदि रहे हैं।
 
== चित्रकला ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बूँदी" से प्राप्त