"रामकृष्ण परमहंस": अवतरणों में अंतर
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=== मृत्यु ===
अंत में वह
[[चित्र:Ramakrishna Marble Statue.jpg|thumb|right|[[ रामकृष्ण मिशन ]] का मुख्यालय [[ बेलूर मठ ]]में स्थित श्रीरामकृष्ण की मार्बल प्रतिमा]]
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== उपदेश और वाणी ==
रामकृष्ण छोटी कहानियों के माध्यम से लोगों को शिक्षा देते थे। कलकत्ता के बुद्धिजीवियों पर उनके विचारों ने ज़बरदस्त प्रभाव छोड़ा था
रामकृष्ण के अनुसार ही मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य हैं। रामकृष्ण कहते थे की ''कामिनी -कंचन'' ईश्वर प्राप्ति के सबसे बड़े बाधक हैं। श्री [https://hindipath.com/ramkrishna-paramhans-biography-in-hindi/ रामकृष्ण परमहंस की जीवनी] के अनुसार, वे तपस्या, सत्संग और स्वाध्याय आदि आध्यात्मिक साधनों पर विशेष बल देते थे। वे कहा करते थे, "यदि आत्मज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखते हो, तो पहले अहम्भाव को दूर करो। क्योंकि जब तक अहंकार दूर न होगा, अज्ञान का परदा कदापि न हटेगा। तपस्या, सत्सङ्ग, स्वाध्याय आदि साधनों से अहङ्कार दूर कर आत्म-ज्ञान प्राप्त करो, ब्रह्म को पहचानो।"<ref name=":0" /><br />
रामकृष्ण संसार को [[माया ]] के रूप में देखते थे। उनके अनुसार ''अविद्या माया'' सृजन के काले शक्तियों को दर्शाती हैं (जैसे काम, लोभ ,लालच , क्रूरता , स्वार्थी कर्म आदि ), यह मानव को चेतना के निचले स्तर पर रखती हैं। यह शक्तियां मनुष्य को जन्म और मृत्यु के चक्र में बंधने के लिए ज़िम्मेदार हैं। वही ''विद्या माया'' सृजन की अच्छी शक्तियों के लिए ज़िम्मेदार हैं (
== आगे अध्ययन के लिए ==
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