"पंचगव्य": अवतरणों में अंतर
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[[गाय]] के [[दूध]], [[दही]], [[घी]], [[गोमूत्र]] और [[गोबर]] का पानी को सामूहिक रूप से '''पंचगव्य''' कहा जाता है। [[आयुर्वेद]] में इसे औषधि की मान्यता है। [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के कोई भी मांगलिक कार्य इनके बिना पूरे नहीं होते।
==वैज्ञानिक अध्ययन==
समर्थकों का दावा है कि गोमूत्र चिकित्सा कुछ प्रकार के कैंसर सहित कई बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है, हालांकि इन दावों का कोई वैज्ञानिक समर्थन नहीं है। [१] [२] वास्तव में, पंचगव्य के व्यक्तिगत घटकों, जैसे कि गोमूत्र को अंतर्ग्रहण करने से संबंधित अध्ययनों से कोई सकारात्मक लाभ नहीं मिला है और आक्षेप, दबे हुए श्वसन और मृत्यु सहित कई दुष्प्रभाव हैं। [३] गाय का मूत्र लेप्टोस्पायरोसिस सहित हानिकारक बैक्टीरिया और संक्रामक रोगों का भी स्रोत हो सकता है।
पंचगव्य का उपयोग कृषि कार्यों में उर्वरक और कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है। [५] [६] समर्थकों का दावा है कि यह पोल्ट्री आहार में एक विकास को बढ़ावा देने वाला है, यह मछली फ़ीड के लिए प्लवक की वृद्धि को बढ़ाने में सक्षम है, [7] [it] यह गायों में दूध का उत्पादन बढ़ाता है, सूअरों का वजन बढ़ाता है, और बढ़ाता है अंडे देने की क्षमता पोल्ट्री की है। [९] [१०] यह कभी-कभी कॉस्मेटिक उत्पादों में एक आधार के रूप में उपयोग किया जाता है।
पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगनिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है। गोमूत्र में प्रति ऑक्सीकरण की क्षमता के कारण डीएनए को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। गाय के गोबर का चर्म रोगों में उपचारीय महत्व सर्वविदित है। दही एवं घी के पोषण मान की उच्चता से सभी परिचित हैं। दूध का प्रयोग विभिन्न प्रकार से भारतीय संस्कृति में पुरातन काल से होता आ रहा है। घी का प्रयोग शरीर की क्षमता को बढ़ाने एवं मानसिक विकास के लिए किया जाता है। दही में सुपाच्य प्रोटीन एवं लाभकारी जीवाणु होते हैं जो क्षुधा को बढ़ाने में सहायता करते हैं। पंचगव्य का निर्माण देसी मुक्त वन विचरण करने वाली गायों से प्राप्त उत्पादों द्वारा ही करना चाहिए।
आयुर्वेद में पंचगव्य से *कैंसर* जैसे भयानक रोग तक का निदान किया जाता है। दिल्ली के पश्चिमी पंजाबी बाग स्थित एक चेरिटेबल अस्पताल में पंचगव्य आधारित आयुर्वेदिक कैंसर चिकित्सा के जरिये सैंकड़ों मरीजों को ठीक करने का दावा किया जाता है।
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तीन भाग देसी गांय का शकृत (गोबर) , तीन ही भाग देसी गांय का कच्चा दूध, दो भाग देसी गांय के दूध की दहि, एक भाग देसी गांय का घृत इन्हें मिश्रित कर लें विष्णु धर्म में कहा गया है जितना पंचगव्य बनाना हो उसका आधा अंश गौमूत्र का होना चाहिए। अर्थात उक्त मिश्रण जितनी मात्र में हो उतने ही मात्र में गौमूत्र होना चाहिए, शेष कुशाजल होना चाहिए।
==इन्हें भी देखें==
* [[छद्म विज्ञान]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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