"अजीव": अवतरणों में अंतर

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== जैन दर्शन ==
जैन दर्शन के अनुसार अजीव द्रव्य के पांच भेद हैं:-
#धर्मास्तिकाय
#धर्म
#अधर्मास्तिकाय
#[[अधर्म]]
#आकाशास्तिकाय
#आकाश
#
#[[पुद्गल]]
#[[पुद्गल|पुद्गलास्तिकाय]]
#काल
 
=== अधर्म-अस्तिकायआस्तिकाय ===
 
=== आकाश-अस्तिकायआस्तिकाय ===
आकाश द्रव्य के दो भेद हैं:<ref>Sharma, C. (1997)</ref>
#लोकाक्ष
#अलोकाकाक्ष
 
=== पुद्ग़ल-अस्तिकायआस्तिकाय ===
पुद्ग़ल शब्द दो शब्दों के मेल से बना हैं: पुद् यानि की एकीकरण और गल यानि की विभाजन। जिसका निरंतर एकीकरण और विभाजन होता हैं उससे पुद्ग़ल कहते हैं। अंग्रेजी भाषा में इसे मैटर (matter) कहते हैं। जैन ग्रंथों में पुद्ग़ल की निम्नलिखित विशेषताएं बताई गयीं हैं<ref>"Sparsharasagandhavarnavantah pudgalah" - [[आचार्य उमास्वामी]], [[तत्त्वार्थ सूत्र]], v.23</ref> :-
*स्पर्श किया जा सकता हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अजीव" से प्राप्त