"ब्राह्मी लिपि": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Brahmi script on Ashoka Pillar, Sarnath.jpg|अशोक स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि|right|thumb|300px]]
===देशी उत्पत्ति का सिद्धान्त===
कई विद्वानों का मत है कि यह लिपि प्राचीन [[सरस्वती लिपि]] (सिन्धु लिपि) से निकली!, अतः यह पूर्ववर्ती रूप में भारत में पहले से प्रयोग में थी। सरस्वती लिपि के प्रचलन से हट जाने के बाद प्राकृत भाषा लिखने के लिये ब्रह्मी लिपि प्रचलन मे आई। ब्रह्मी लिपि में संस्कृत मे ज्यादा कुछ ऐसा नहीं लिखा गया जो समय की मार झेल सके। प्राकृत/पाली भाषा मे लिखे गये मौर्य [[सम्राट अशोक]] के बौद्ध उपदेश आज भी सुरक्षित है। इसी लिये शायद यह भ्रम उपन्न हुआ कि इस का विकास [[मौर्य वंश|मौर्यों]] ने किया।
 
यह लिपि उसी प्रकार बाँई ओर से दाहिनी ओर को लिखी जाती थी जैसे, उनसे निकली हुई आजकल की लिपियाँ। [[ललितविस्तर]] में लिपियों के जो नाम गिनाए गए हैं, उनमें 'ब्रह्मलिपि' का नाम भी मिला है। इस लिपि का सबसे पुराना रूप [[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेखों]] में ही मिला है।