"स्कन्द पुराण": अवतरणों में अंतर

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विभिन्न विषयों के विस्तृत विवेचन की दृष्टि से '''स्कन्दपुराण''' सबसे बड़ा [[पुराण]] है। भगवान [[स्कन्द]] के द्वारा कथित होने के कारण इसका नाम 'स्कन्दपुराण' है। इसमें [[बद्रीनाथ मन्दिर|बद्रिकाश्रम]], [[अयोध्या]], [[जगन्नाथ पुरी|जगन्नाथपुरी]], [[रामेश्वर]], [[कन्याकुमारी]], [[प्रभास]], [[द्वारका]], [[काशी]], [[कांची]] आदि तीर्थों की महिमा; [[गंगा]], [[नर्मदा]], [[यमुना]], [[सरस्वती]] आदि नदियों के उद्गम की मनोरथ कथाएँ; [[रामायण]], [[श्रीमद्भागवत पुराण|भागवतादि]] ग्रन्थों का माहात्म्य, विभिन्न महीनों के व्रत-पर्व का माहात्म्य तथा [[शिवरात्रि]], [[सत्य नारायण व्रत कथा|सत्यनारायण]] आदि व्रत-कथाएँ अत्यन्त रोचक शैली में प्रस्तुत की गयी हैं। विचित्र कथाओं के माध्यम से भौगोलिक ज्ञान तथा प्राचीन इतिहास की ललित प्रस्तुति इस पुराण की अपनी विशेषता है। आज भी इसमें वर्णित विभिन्न व्रत-त्योहारों के दर्शन भारत के घर-घर में किये जा सकते हैं।
 
इसमें लौकिक और पारलौकिक ज्ञानके अनन्त उपदेश भरे हैं। इसमें [[धर्म]], [[सदाचार]], [[योग]], [[ज्ञान]] तथा [[भक्ति]] के सुन्दर विवेचनके साथ अनेकों साधु-महात्माओं के सुन्दर चरित्र पिरोये गये हैं। आज भी इसमें वर्णित आचारों, पद्धतियोंके दर्शन हिन्दू समाज के घर-घरमें किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें भगवान [[शिव]] की महिमा, सती-चरित्र, शिव-पार्वती-विवाह, कार्तिकेय-जन्म, तारकासुर-वध आदि का मनोहर वर्णन है।<ref>[http://www.gitapress.org/hindi/search_result.asp गीताप्रेस डाट काम]</ref>
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: ''( एक पुत्री दस पुत्रों के समान है। कोई व्यक्ति दस पुत्रों के लालन-पालन से जो फल प्राप्त करता है वही फल केवल एक कन्या के पालन-पोषण से प्राप्त हो जाता है।
 
यह खण्डात्मक और संहितात्मक दो स्वरूपों में उपलब्ध है। दोनों स्वरूपों में ८१-८१ हजार श्लोक परंपरागत रूप से माने गये हैं। खण्डात्मक स्कन्द पुराण में क्रमशः माहेश्वर, वैष्णव, ब्राह्म, काशी, अवन्ती (ताप्ती और रेवाखण्ड) नागर तथा प्रभास -- ये सात खण्ड हैं। संहितात्मक स्कन्दपुराण में सनत्कुमार, शंकर, ब्राह्म, सौर, वैष्णव और सूत -- छः संहिताएँ हैं।
 
== विस्तार ==
स्कन्द पुराण कथित रूप में एक शतकोटि पुराण है, जिसमें शिव की महिमा का वर्णन किया गया है। उसके सारभूत अर्थ का [[वेद व्यास|व्यासजी]] ने स्कन्दपुराण में वर्णन किया है। स्कन्द पुराण इक्यासी हजार श्लोकों से युक्त है एवं इसमें सात खण्ड हैं। पहले खण्ड का नाम माहेश्वर खण्ड है, इसमें बारह हजार से कुछ कम श्लोक हैं। दूसरा वैष्णवखण्ड है, तीसरा ब्रह्मखण्ड है। चौथा काशीखण्ड एवं पाँचवाँ अवन्तीखण्ड है; फिर क्रमश: नागर खण्ड एवं प्रभास खण्ड है।<ref name="अ">स्कन्द पुराण, गीताप्रेस गोरखपुर</ref>
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|वैष्णव खण्ड
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