"मुहर्रम": अवतरणों में अंतर

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श्रीराम लोधा
 
लाङपुरा बलराम
 
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[[चित्र:Muharram (Ta'ziya) procession Barabanki India (Jan 2009).jpg|thumb|right|300px|मुहर्रम के मौके पर ताजिये सहित जुलूस]]
'''मुहर्रम''' इस्लामी वर्ष यानी [[हिजरी]] सन्‌ का पहला महीना है। यह एक मुस्लिम त्यौहार भी है। हिजरी सन्‌ का आगाज इसी महीने से होता है। इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत [[मुहम्मदصلی اللہ علیہ و آلہ و سلم] ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है। साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास अहमियत बयान की है।मुख्तलिफ हदीसों, यानी हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के कौल (कथन) व अमल (कर्म) से मुहर्रम की पवित्रता व इसकी अहमियत का पता चलता है। ऐसे ही हजरत [[मुहम्मदصلی اللہ علیہ و آلہ و سلم] ने एक बार मुहर्रम का जिक्र करते हुए इसे अल्लाह का महीना कहा। इसे जिन चार पवित्र महीनों में रखा गया है, उनमें से दो महीने मुहर्रम से पहले आते हैं। यह दो मास हैं जीकादा व जिलहिज्ज।एक हदीस के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत [[मुहम्मदصلی اللہ علیہ و آلہ و سلم] ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो अल्लाह के महीने यानी मुहर्रम में रखे जाते हैं। यह कहते समय नबी-ए-करीम हजरत [[मुहम्मदصلی اللہ علیہ و آلہ و سلم] ने एक बात और जोड़ी कि जिस तरह अनिवार्य नमाजों के बाद सबसे अहम नमाज तहज्जुद की है, उसी तरह रमजान के रोजों के बाद सबसे उत्तम रोजे मुहर्रम के हैं।